कोरोना की जांच कैसे होती है– भारत में कोरोना से संक्रमित होनें वाले लोगो का आंकड़ा निरंतर बढ़ता ही जा रहा है, और इस संक्रमण से मरनें वाले लोगो की संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है| चूंकि कोरोना वायरस एक बहुत ही जोखिम वाला संक्रमण है, इसलिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) COVID-19 से संक्रमित रोगियों के साथ निकट संपर्क में रहने वाले किसी भी व्यक्ति को स्क्रीनिंग की सलाह दे रहा है।
एक तरफ मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन डॉक्टर्स और विशेषज्ञ इस महामारी से उबरने के लिए प्रतिदिन अधिक से अधिक टेस्ट करनें में लगे हुए है| वर्तमान में अधिकांश लोगो के मन में यह प्रश्न आता है, कि कोरोना की जांच कैसे होती है ? तो आईये जानते है भारत में कोरोना टेस्ट की प्रक्रिया क्या है और इसमें कितना समय लगता है|
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कोरोना वायरस की जांच कैसे होती है (How To Test For Corona Virus)
विषयसूची
एक्सपर्ट्स के अनुसार नाक और गले के पीछे के भाग यह दो ऐसे हिस्से हैं जहां वायरस के मौजूद होने की संभावना सबसे अधिक होती हैं| स्वैब के माध्यम से इन्हीं कोशिकाओं को उठाया जाता है| स्वैब को एक ऐसे सॉल्यूशन में डाला जाता है, जिनसे कोशिकाएं रिलीज होती हैं| स्वैब टेस्ट का प्रयोग सैंपल में मिले जेनेटिक मैटेरियल को कोरोना वायरस के जेनेटिक कोड से मिलाने में किया जाता है|
कोरोना जाँच रिपोर्ट में लगने वाला समय (Corona Test Report Time)
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के मेडिकल एक्सपर्ट्स के अनुसार, कोरोना की जाँच प्रकिया में पहले 6 घंटे का समय लगता था, परन्तु रियल टाइम पीसीआर ने नमूनों का परीक्षण करने में लगने वाले समय को 4 घंटे तक कम कर दिया है| हालांकि टेस्ट की पूरी प्रक्रिया के अंतर्गत सैंपल लेने और रिपोर्ट देने में लगभग 24 घंटे का समय लगता है, जबकि यह समय कभी-कभी बढ़ भी जाता है और कम भी हो सकता है| प्राइवेट लैब्स भी टेस्ट के बाद रिपोर्ट देने में लगभग 24 घंटे का समय ही लेती है|
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कोरोना की जांच में खर्च कितना आता है (Expenses In Corona Testing Report)
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च अर्थात आईसीएमआर के अनुसार RT-PCR टेस्ट की कीमत 740-1150 के बीच और रैपिड टेस्ट की कीमत 528-795 निर्धारित की गई है| जबकि ऐसी भी खबरें सामने आई हैं, कि कुछ प्राइवेट लैब्स इसके लिए 4,500 रुपये तक भी चार्ज ले रहे है|
कोरोना जांच में किट का प्रयोग (Use of Kit In The Corona Probe)
आईसीएमआर के अनुसार, एलजीएम डिटेक्शन किट, मेकश्योर कोविड-19 रेपिड टेस्ट और इम्यूनो क्विक रैपिड टेस्ट फॉर डिटेक्शन ऑफ कोरोना वायरस, स्टैंडर्ड क्यू कोविड-19 एजी डिटेक्शन किट, ह्यूमन आईजीजी एलिसा, एबचेक कोविड-19 एचजीएम जैसी टेस्ट किटों का प्रयोग किया जा रहा है| आईसीएमआर ने हाल ही में दक्षिण कोरिया की स्टैंडर्ड क्यू कोविड-19 एंटीजन डिटेक्शन किट से जांच की मंजूरी दी है|
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RT-PCR या मॉलिक्युलर टेस्ट क्या है (What Is RT-PCR or Molecular Test)
RT-PCR या मॉलिक्युलर टेस्ट को करने में लगभग चार से पांच घंटे का समय लगता है, और रिपोर्ट आने में कम-से-कम 24 घंटे लग सकते हैं। इसे इस तरह समझ सकते हैं, कि इसमें वायरस के जीन का अध्ययन किया जाता है जो जीन है, वह कोरोना का ही है या किसी और वायरस का। इस टेस्ट में नीचे दिए गये तरीकों में से कोई भी अपनाया जा सकता है, जो इस प्रकार है-
स्वाब टेस्ट – इसमें गले या नाक के अंदर से स्वाब (रुई या फाहा) पर श्वास नली से लिक्विड या लार का सैंपल लिया जाता है।
नेजल एस्पिरेट – नाक में एक सलूशन डालने के बाद सैंपल लेकर जांच की जाती है।
ट्रेशल एस्पिरेट – एक पतली ट्यूब ब्रोंकोस्कोप को फेफड़ों में डालकर वहां से सैंपल लेकर जांच की जाती है। यह टेस्ट अमूमन उन लोगों पर किया जाता है जो आईसीयू में भर्ती होते हैं।
सप्टम टेस्ट – इसमें फेफड़े में जमा मटीरियल लेकर टेस्ट किया जाता है। कोरोना टेस्ट का यह तरीका भी अच्छा है।
कोरोना जाँच रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर (Corona Test Report Positive On)
यदि किसी व्यक्ति का टेस्ट खासकर RT-PCR से कोरोना पॉजिटिव आता है, तो उस व्यक्ति को तत्काल अस्पताल में भर्ती कर उसका इलाज शुरू कर दिया जाता है। संक्रमित व्यक्ति का यह ईलाज 14 दिन से 1महीनें तक चल सकता है| ईलाज के दौरान संक्रमित व्यक्ति के लक्षणों के आधार पर फिर-से टेस्ट किया जाता है। जब तक जांच पॉजिटिव आती है, इलाज और टेस्ट जारी रहती है। यहाँ सबसे खास बात यह है कि यह जब तक मरीज के कम से कम 2 टेस्ट नेगेटिव नहीं आ जाते तब तक ईलाज जारी रहता है|
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कोरोना जाँच रिपोर्ट नेगेटिव आने पर (Corona Test Report Negative On)
यदि पहला टेस्ट नेगेटिव आता है, तो अगला टेस्ट कम-से-कम 24 घंटे बाद किया जाता है। दूसरा भी नेगेटिव आनें पर मरीज को घर भेज दिया जाता है साथ ही यह हिदायत दी जाती है कि कम-से-कम 14 दिन सेल्फ क्वारंटीन में रहना होगा।
- घर में मास्क लगाकर रहना होगा।
- अलग बाथरूम इस्तेमाल करना होगा।
- घर में मौजूद सदस्यों का कोई सामान शेयर नहीं करना होगा।
- यदि इन 14 दिनों तक सब ठीक रहा, मरीज में कोई भी लक्षण नहीं दिखा तो सब कुछ सामान्य माना जाता है।
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