वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल क्या होता है | वैक्सीनेशन के चरण | भारत में उपलब्ध वैक्सीन

Vaccine Human Trial kya hota hai- भारत सहित विश्व के लगभग सभी देशों में कोरोना का कहर लगातार जारी है, हालाँकि इस वैश्विक महामारी को रोकने के लिए वैज्ञानिको द्वारा वैक्सीन भी तैयार कर ली गयी है और देश में वैक्सीनेशन का कार्य लगातार जारी है| लेकिन भारत में स्थितियां और भी गंभीर हो गयी है, क्योंकि कोरोना के नये वैरियंट ने लोगो अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया है| ऐसे में शोधकर्ताओं के लिए एक नई चुनौती उत्पन्न हो गयी है| हालाँकि कोरोना के इस नये वैरियंट को लेकर वैज्ञानिको द्वारा शोध किया जा रहा है| ऐसे में हमारे लिए यहाँ जानना आवश्यक है, कि वैक्सीन तैयार होनें के पश्चात इसका ट्रायल कैसे होता है| तो आईये जानते है, वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल क्या होता है | इसके कितने चरण होते है | भारत में उपलब्ध वैक्सीन के बारें में|  

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वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल क्या होता है (What Is Vaccine Human Trial)

वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल का मतलब वैज्ञानिकों द्वारा खोज की गयी वैक्सीन का परीक्षण इंसानों पर करनें से है|  इस ट्रायल के दौरान किसी नई दवा या वैक्सीन का इंसानों पर प्रयोग किया जाता है। ट्रायल में भाग लेने वाले सभी लोगों का स्वस्थ होना जरूरी है। ह्यूमन ट्रायल में मुख्य रूप से दो बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। पहला यह है, कि कोई वैक्सीन इंसानों के प्रयोग के लिए कितनी सुरक्षित है, और दूसरी कि वैक्सीन के बाद उनमें किसी बीमारी या वायरस के प्रति इम्युनिटी पैदा होती है या नहीं।

वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल से पहले चेकअप (Checkup Before Vaccine Human Trial)

कोरोना वैक्सीन का परीक्षण जिस व्यक्ति पर किया जाता है, उस व्यक्ति का सबसे पहले कोरोना (Covid-19) का टेस्ट अर्थात परीक्षण किया जाता है, तत्पश्चात मेडिकल चेकअप में ब्लड टेस्ट, ब्लड प्रेशर (बीपी), किडनी और लिवर से जुड़ी बीमारियों की जाँच की जाएगी, पूरी तरह से स्वस्थ पाए जाने के बाद ही वैक्सीन की डोज दी जाएगी|  पहले चरण के अंतर्गत  वैक्सीन का परीक्षण 375 लोगों पर किया जाएगा| इस ह्यूमन ट्रायल में सिर्फ 18 से 55 वर्ष के स्वस्थ लोगो को ही शामिल किया जायेगा|

वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल किसकी देखरेख में होता है (Whose Supervision Is The Vaccine Human Trial)

ह्यूमन ट्रायल के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा गाइडलाइंस जारी की हुई है, परन्तु मानव परीक्षण का कार्य केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के तहत होता है। ह्यूमन ट्रायल की स्वीकृति देने वाला ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) भी स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत आने वाली इस केंद्रीय एजेंसी के अधीन कार्य करता है। जबकि जमीनी स्तर पर इनकी देखरेख एथिक्स कमेटी द्वारा किया जाता है, जिसमें स्थानीय अस्पताल या कॉलेज के अधिकारी शामिल होते हैं।

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वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल के चरण (Vaccine Human Trial Phase)

वैज्ञनिकों द्वारा तैयार की गयी वैक्सीन का मानव परीक्षण करनें से पहले कई चरणों से होकर गुजरना पड़ता है। सबसे पहले वैक्‍सीन का लैब में टेस्ट किया जाता है, इसके बाद जानवरों पर टेस्‍ट किया जाता है। यदि यहां तक यह परीक्षण पूरी तरह से सफल और सुरक्षित पाया जाता है, तो वैक्‍सीन का परीक्षण इंसानों पर किया जाता है। मुख्य रूप से ह्यूमन ट्रायल तीन चरणों में पूरा होता है। इन्हें पहला, दूसरा और तीसरा चरण कहा जाता है। प्रत्येक चरण के साथ-साथ इनमें शामिल लोगों की संख्या भी बढ़ती जाती है।

ह्यूमन ट्रायल का पहला चरण (First Stage Of Vaccine Human Trial)

पहले चरण के अंतर्गत वैक्सीन का परीक्षण समूह के गिने चुने लोगों पर किया जाता है। वैक्सीन के जरिए व्यक्ति के शरीर में एंटीबॉडी तैयार किया जाता है। इस प्रक्रिया में लगभग 90 दिनों का समय लगता है।

ह्यूमन ट्रायल का दूसरा चरण (Second Stage Of Vaccine Human Trial)

दूसरे चरण के अंतर्गत वैक्सीन का अधिक लोगों पर किया जाता है, इस प्रक्रिया में लगभग  180-240 दिन का समय लता है| दूसरे चरण में यह देखा जाता है, कि बीमारी पर वैक्सीन का प्रभाव कितने प्रतिशत हुआ है| इसमें इस बात का यह विशेष ध्यान दिया जाता है, कि कहीं कोई विपरीत प्रतिक्रिया तो नहीं हो रही है|

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ह्यूमन ट्रायल का तीसरा चरण (Third Stage Of Vaccine Human Trial)

मानव परीक्षण के तीसरे और अंतिम चरण में वैक्सीन का प्रयोग एक साथ हजारों लोगों पर किया जाता है। इसमें यह देखा जाता है, कि इम्यून सिस्टम कमजोर या अधिक होने पर वैक्सीन किस तरह से कार्य करती है। इस प्रक्रिया में लगभग 200-240 दिन का समय लगता हैं। जब वैक्सीन अंतिम चरण में भी सफल हो जाता है। तब इसे रेगुलेटरी रिव्यू के लिए भेजा जाता है। इस प्रक्रिया में सफल होने के बाद वैक्सीन के उत्पादन की अनुमति दी जाती है|

भारत की पहली कोविड 19 वैक्सीन (India’s First Kovid 19 Vaccine)

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विरोलॉजी (NIV) ने साथ मिलकर कोविड-19 के लिए भारत की पहली वैक्सीन कोवाक्सिन (Covaxin) को सफलतापूर्वक विकसित किया है, जिसका ट्रायल 20 जुलाई से शुरू हो चुका है|

देश की दूसरी कोरोनो वैक्सीन को भारत की प्रसिद्द दवा निर्मात कंपनी जायडस कैडिला (Zydus Cadilla) द्वारा विकसित किया गया है। जायइस कैडिला की कोरोना वैक्सीन जायकोव-डी (ZyCov-D) का मानव ट्रायल शुरू हो चुका है। कंपनी ने मानव ट्रायल में 1048 लोगों को शामिल किया है।

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