फांसी एक ऐसा शब्द है, जिसका नाम सुनते ही अच्छे अच्छों की रूह कांप जाती है| ऐसे में उन अपराधियों के बारे में सोचिए उनका क्या हाल होता होगा, जिन्हें पता चलता होगा कि उनके अपराधों की सजा फांसी मिली हुई है। अधिकांश अपराधी फांसी की सजा सुनते ही डिप्रेशन में चले जाते है, वास्तव में यह बेहद ही खतरनाक होता है| फांसी का नाम सुनते ही मन में अनेक प्रकार के प्रश्न उत्पन्न होते है, जैसे फांसी कैसे दी जाती है ? इसकी प्रक्रिया क्या होती है आदि| मित्रों, तो आइए जानते हैं सबसे पहले डेथ वॉरंट क्या होता है, नियम, इसमें क्या लिखा जाता है?
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डेथ वारंट क्या होता है (Death Warrant Kya Hota Hai)
डेथ वारंट को ब्लैक वारंट भी कहा जाता है| यह एक प्रकार का फॉर्म होता है, जिसे कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर 1973 के अंतर्गत जारी किया जाता है। इसके अंतर्गत एक और फॉर्म शामिल किया जाता है, जिसका नंबर 421 होता है| इस फॉर्म के अंतर्गत एक और फॉर्म होता है, जिसे फॉर्म नंबर-42 के नाम से जाना जाता है। इस फॉर्म के उपर लिखित शब्दों में लिखा हुआ होता है वारंट ऑफ एग्जेक्यूशन ऑफ़ अ सेंटेंस ऑफ डेट (Execution Of A Sentence Of Death)। इस वारंट में लिखित रूप से उन व्यक्तियों के लिए डेथ वारेंट जारी किया जाता है, जिन्हें फांसी की सजा दी जानी होती है| जब यह फॉर्म किसी भी व्यक्ति के नाम से जारी हो जाता है, तो उस व्यक्ति के नाम पर फांसी की सजा निर्धारित कर दी जाती है।
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डेथ वारंट जारी होने के बाद क्या होता है (After Death Warrant Issued)
जिन अपराधियों का डेथ वारंट जारी हो जाता है, ऐसे अपराधियों को उन्हें अन्य कैदियों से अलग रखा जाता है| उसके सेल में किसी प्रकार का कोई समान नहीं होता, क्योंकि मुजरिम किसी बर्तन आदि से स्वयं को जख्मी न कर ले| मुजरिम पर 24 घंटे नजर रखी जाती है| अपराधी को उसके परिजनों से मुलाकात फांसी पर चढ़ाने के 24 घंटे पहले तक हो सकती है| यह मुलाकात भी जेल मैन्युअल के अनुसार होती है|
फॉर्म के अंतर्गत क्या-क्या लिखा जाता है (Whats Written Under The Form)
- अपराधियों को जेल में रखने के दौरान एक नंबर दिया जाता है, फॉर्म में सबसे पहले उस नंबर को अंकित किया जाता है।
- इसके बाद जिन व्यक्तियों को फांसी चढ़ाये जानें वाले व्यक्तियों की संख्या तथा उन व्यक्तियों के नाम फॉर्म पर लिखे जाते हैं।
- इसके बाद फॉर्म पर वह नंबर लिखा जाता है, जिस नंबर से उन कैदियों का केस दर्ज कराया गया हो।
- उसके बाद उस फॉर्म में एक और कॉलम होता है, जिसमें डेथ वारंट जारी करनें की तिथि अंकित की जाती है।
- कैदियों को फांसी दिए जानें की तिथि, समय और स्थान का विवरण फॉर्म में लिखा जाता है।
- जिन अपराधियों के नाम डैथ वारंट जारी किया जाता है, उस डेथ वारंट में यह भी लिखा होता है, कि उन व्यक्तियों को फांसी पर कितनी देर तक लटकाया जाना है। अक्सर इस फॉर्म में यही लिखा जाता है, कि कैदियों को फाँसी पर तब तक लटकाया जाए जब तक उनकी मौत ना हो जाए।
- कोर्ट के द्वारा जारी किया गया डेथ वारेंट सबसे पहले सीधा जेल प्रशासन के पास पहुंचाया जाता है।
- जब कैदियों को फांसी की सजा दी जाती है, और उनकी मौत हो जाती है तो उनकी मौत की पुष्टि करने के बाद डॉक्टर के द्वारा मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया जाता है| जिसे बाद में डैथ वारंट के साथ कोर्ट में जमा कराया जाता है।
डेथ वॉरंट कौन जारी करता है (Who Issued Death Warrant)
डेथ वॉरंट वही जेल जारी करता है, जिस जेल में दोषी को फांसी दी जानी है। वारंट में इस बात का स्पष्ट रूप से जिक्र होता है, कि किस शख्स के लिए कोर्ट के द्वारा फांसी दिए जाने का आदेश दिया गया है।