संविधान किसे कहते है? यदि सरल भाषा में बताऊ तो किसी भी देश का संविधान वह मौलिक कानून है जो सरकार के विभिन्न अंगों की रूपरेखा, कार्य निर्धारण तथा नागरिको के हितो का संरक्षण भी करता है।
किसी भी देश को गणराज्य बनाने के लिए संविधान की भूमिका अग्रणीय होती हैं। संविधान के बिना किसी भी राष्ट्र की शासन प्रणाली को सुचारू रूप से चलाना असंभव होता हैं।
भारत राज्यों का एक संघ है। यह सरकार की संसदीय प्रणाली के साथ एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष एवं लोकतांत्रिक गणराज्य है।
संविधान द्वारा सम्पूर्ण देश की शासन व्यवस्था को नियंत्रित किया जाता है। संविधान दो प्रकार के होते है लिखित और अलिखित।
विश्व का प्रथम लिखित संविधान संयुक्त राज्य अमेरिका का है, तथा संसार का सबसे बड़ा लिखित संविधान भारत का है।
भारतीय संविधान सभा का अस्थायी अध्यक्ष श्री सच्चिदानंद सिन्हा को निर्वाचित किया गया था, उसके बाद डॉ राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष बनाया गया था, सविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ भीमराव अंबेडकर जी थे और 26 जनवरी 1950 को इसे पूर्ण रूप से पूरे देश में लागू कर दिया गया था।
संविधान किसे कहते है?, परिभाषा, लिखित संविधान, अलिखित संविधान और इसकी विशेषताओं के बारें में आपको यहाँ विस्तार से जानकारी दे रहे है।
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भारतीय संविधान में कितनी अनुसूचियां है?
संविधान की परिभाषा (Samvidhan Ki Paribhasha)
विषयसूची
किसी देश या संस्था द्वारा निर्धारित किए गए वह नियम जिसके माध्यम से संस्था का सुचारु ढंग से संचालन हो सके उसे देश या संस्था का संविधान कहा जाता है।
भारत का संविधान, संविधान सभा द्वारा 26 जनवरी 1950 को आंशिक रूप से संपूर्ण देश में लागू कर दिया गया था। संविधान दो प्रकार के होते हैं, एक लिखित संविधान और दूसरा अलिखित। विश्व का प्रथम लिखित संविधान संयुक्त राज्य अमेरिका का है, और संसार का सबसे बड़ा लिखित संविधान भारत का है।
वर्तमान में, भारत का संविधान 465 अनुच्छेद जो 25 भागों और 12 अनुसूचियों में लिखित है। जिस समय संविधान लागू हुआ था, उस समय 395 अनुच्छेद, 8 अनुसूचि और 22 भाग थे। संविधान में समय– समय पर कई संशोधन किए जाते हैं।
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लिखित संविधान किसे कहते है (What Is Written Constitution)
💭 Likhit Samvidhan Kya Hota Hai? – लिखित संविधान एक औपचारिक दस्तावेज है, जो संवैधानिक समझौते की प्रकृति, राजनीतिक व्यवस्था को नियंत्रित करने वाले नियमों और नागरिकों एवं सरकारों के अधिकारों को एक संहिताबद्ध रूप में परिभाषित करता है। जिसका अधिकांश भाग लिखित होता है।
संविधान किसी देश को अच्छी तरह से संचालित करनें के लिए बनाया गया लिखित दस्तावेज होता है। लिखित संविधान का निर्माण किसी विशेष समय पर संविधान सभा द्वारा किया जाता है।
संविधान देश का सर्वोच्च कानून होता है, इसका उल्लंघन करनें वाले को गैर संवैधानिक माना जाता है। इसलिए, व्यक्तियों के अधिकार तदर्थ वैधानिक संरक्षण या सामान्य कानून के तहत न्यायिक सुरक्षा पर निर्भर रहते हैं।
अलिखित संविधान किसे कहते है? (Unwritten Constitution)
🤔 Alikhit Samvidhan kya hai- अलिखित संविधान उन विचार, नियमों, रीति-रिवाजों अथवा लोक- प्रथाओं एवं परंपराओं के समूह को कहते हैं, जिनसे उस देश की शासन व्यवस्था चलाई जाती है।
अलिखित संविधान के नियम या उनका मतलब स्पष्ट नहीं होता, न ही कोई भी शासन संचालन व्यवस्था नहीं लिखि गई है। मुख्यतः संविधान लिखित रूप में ही मौजूद होते हैं।
ब्रिटेन ही एक ऐसा देश है, जिसका संविधान अलिखित है और उस संविधान के केवल कुछ ही भाग लिखित रूप से मौजूद हैं। ब्रिटिश का संविधान अलिखित होने का कारण वहां का संविधान का निरंतर बदलता रहता है।
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भारतीय संविधान की मुख्य विशेषताएं (Salient Features of the Indian Constitution)
📜 Bhartiya Samvidhan Ki Visheshta:- प्रत्येक देश के संविधान की अपनी विशेषताएं होती है, जिनकी सहायता से उस देश की सम्पूर्ण व्यवस्था के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते है।
संविधान, किसी भी देश का मौलिक कानून है जो सरकार के विभिन्न अंगों की रूपरेखा और मुख्य कार्य का निर्धारण करता है। साथ ही यह सरकार और देश के नागरिकों के बीच संबंध भी स्थापित करता है।
भारतीय संविधान का निर्माण एक विशेष संविधान सभा के द्वारा किया गया है, और इस संविधान की अधिकांश बातें लिखित रूप में है।
इस दृष्टिकोण से भारतीय संविधान, अमेरिकी संविधान के समतुल्य है। भारत का संविधान लिखनें में 2 वर्ष 11 महीनें 18 दिन का समय लगा था।
आपको बता दें कि संविधान किसी भी देश का मौलिक कानून है जो सरकार के विभिन्न अंगों की रूपरेखा और मुख्य कार्य का निर्धारण करता है। साथ ही यह सरकार और देश के नागरिकों के बीच संबंध भी स्थापित करता है।
1. सबसे बड़ा लिखित संविधान (Largest Written Constitution)
भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है। जो 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था। वर्तमान में इस संविधान में कुल 450 अनुच्छेद (24 भागों में विभक्त) तथा 12 अनुसूचियां, एक प्रस्तावना तथा 5 परिशिष्ट हैं।
भारतीय संविधान में कुल 177369 शब्द शामिल हैं। भारतीय संविधान की विशालता का मुख्य कारण उसका विस्तृत भौगोलिक क्षेत्र (लगभग 32,87,263 वर्ग किलोमीटर) है।
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2. संविधान में लचीलेपन और कठोरता का समावेश (Incorporation Of Flexibility & Rigidity in Constitution)
भारतीय संविधान कठोरता व लचीलेपन के सम्मिश्रण का अनूठा उदाहरण है। यह अमेरिका, स्विट्जरलैंड और फ्रांस, जापान जैसे देश की तरह ना तो बहुत कठोर है ना ही ब्रिटेन व इजरायल की तरह बहुत लचीला है।
भारतीय संविधान लचीलेपन और कठोरता का विचित्र मिश्रण है।
भारत के संविधान में संशोधन की एक निश्चित प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया न तो बहुत ज्यादा कठोर है और न ही बहुत ज्यादा लचीली।
यह संशोधन सदन के दोनों सदनों के कुल सदस्यों तथा प्रत्येक सदन के दो-तिहाई उपस्थित सदस्यों के मतदान के द्वारा पारित किया जाता है।
तीसरी विधि में विशेष बहुमत, जो दूसरी विधि में लिखा है, के अलावा 50 प्रतिशत राज्यों के विधान सभाओं द्वारा भी पारित होना आवश्यक होता है।
इसलिए आपने देखा कि भारतीय संविधान के संशोधन में साधारण से लेकर कठोर प्रक्रिया को भी संशोधन की प्रकृति के अनुसार अपनाया जाता है।
3. विभिन्न स्रोतों से निर्मित संविधान (Constitution Made From Different Sources)
भारतीय संविधान के निर्माण में देश और विदेशी स्त्रोत लिए गया हैं, लेकिन भारतीय संविधान पर सबसे अधिक प्रभाव भारतीय शासन अधिनियम 1935 का है।
भारतीय संविधान के निर्माण में लगभग 250 अनुच्छेदों को भारत सरकार अधिनियम 1935 से लिया गया है। इसके अतिरिक्त 60 देशो के संविधान के प्रावधानों को भी इसमें शामिल किया गया है।
4. धर्मनिरपेक्ष देश
धर्मनिरपेक्ष देश शब्द का अर्थ यह है, कि भारत में मौजूद सभी धर्मों को देश में एक समान संरक्षण और समर्थन मिलेगा।
इसके अनुसार सरकार सभी देश के नागरिकों चाहे वह किसी भी धर्म जाती का हो सबके साथ एक जैसा व्यवहार करेगी और उन्हें एक समान अवसर उपलब्ध कराएगी।
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5. सरकार का संसदीय स्वरूप (Parliamentary Form Of Government)
संविधान के अनुसार भारत में सरकार का संसदीय स्वरूप है।
संसदीय प्रणाली (Parliamentary System) लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की वह प्रणाली है, जिसमें कार्यपालिका अपनी लोकतान्त्रिक वैधता विधायिकता (संसद) से प्राप्त करती है तथा विधायिकता के प्रति उत्तरदायी होती इस प्रकार संसदीय प्रणाली में कार्यपालिका और विधायिका परस्पर सम्बन्धित होते हैं।
भारत में दो सदनों लोकसभा और राज्य सभा वाली विधायिका है।
सरकार के संसदीय स्वरूप में, विधायी और कार्यकारिणी अंगों की शक्तियों में कोई स्पष्ट अंतर नहीं है।
संसदीय प्रणाली में कार्यकारी विधायिका के हिस्से होते हैं जो कानून को लागू करने और उसे बनाने में सक्रिए भूमिका निभाते हैं।
भारत में सरकार का मुखिया प्रधानमंत्री होता है।
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6. एकल नागरिकता (Single Citizenship)
यद्यपि भारतीय संविधान संघीय है और इसने दोहरी राजपद्धति (केंद्र एवं राज्य) को अपनाया है, लेकिन इसमें केवल एकल नागरिकता की व्यवस्था की गई है अर्थात् भारतीय नागरिकता।
विश्व के लगभग 90 देशों में दोहरी नागरिकता का प्रावधान है, जिसमें व्यक्ति एक ही साथ दो देशों की नागरिकता रख सकता है।
दिसंबर 2005 से अप्रवासी भारतीयों तथा भारतीय मूल के व्यक्तियों को दी जानेवाली समुंद्र पारी नागरिकता किसी भी प्रकार से दोहरी नागरिकता नहीं है, क्योंकि समुंद्र पारी नागरिकता प्राप्त व्यक्ति को भारत में किसी भी प्रकार का राजनीतिक तथा सार्वजनिक पदों को प्राप्त करने का अधिकार प्रदान नहीं किया गया है।
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7. एकीकृत और स्वतंत्र न्यापालिका (Unified & Independent Judiciary)
भारत का संविधान एकीकृत और स्वतंत्र न्यायपालिका प्रणाली प्रदान करता है। भारत का सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट है।
इसे भारत के सभी न्यायालयों पर अधिकार प्राप्त है। इसके बाद उच्च न्यायालय, जिला अदालत और निचली अदालत का स्थान है।
किसी भी प्रकार के प्रभाव से न्यायपालिका की रक्षा के लिए संविधान में कुछ प्रावधान बनाए गए हैं।
8. मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duty)
मौलिक कर्तव्यों को 42वें संविधान संशोधन अधिनियम (1976) के अंतर्गत संविधान में शामिल किया गया है।
भारत के लोगों में समरसता और समान भातृत्व की भावना का निर्माण करना जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग आधारित सभी प्रकार के भेदभाव से परे हो।
साथ ही ऐसी प्रथाओं का त्याग करना जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हैं।
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9. आपातकाल के प्रावधान (Emergency Provisions)
देश में आपातकाल की घोषणा भारत के राष्ट्रपति द्वारा स्थिति को देखते हुए कर सकते हैं आपातकाल घोषित करने से पहले राष्ट्रपति को कैबिनेट से लिखित रूप में सिफारिश लेनी पड़ती है। अर्थात राष्ट्रपति स्वयं के निर्णय से आपातकाल घोषित नहीं कर सकते है।
आपातकाल लागु होने के बाद सभी राज्य पूर्ण रूप से केंद्र सरकार के आधीन हो जाते है। गम्भीर स्थितियो को देखते हुए आपातकाल को पुरे देश या कुछ राज्ये में लगाया जा सकता है।
10. सार्वभौम व्यस्क मताधिकार (Universal Adult Franchise)
देश में रहने वाले वयस्क अर्थात 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी नागरिकों को अपनें मताधिकार का प्रयोग करनें का अधिकार प्राप्त है।
उसके साथ जाति, धर्म, वंश, लिंग, साक्षरता आदि को लेकर किसी तरह का भेद-भाव नहीं किया जा सकता।
मताधिकार के संबंध में संपत्ति, लिंग या शिक्षा को लेकर किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।
इस समय विश्व के लगभग देशों में सार्वभौम व्यस्क मताधिकार की व्यवस्था है।
सार्वभौम व्यस्क मताधिकार के माध्यम से सामाजिक असमानता दूर होनें के साथ ही देश के प्रत्येक नागरिक के लिए राजनीतिक समानता के सिद्धांत को बनाए रखता है।
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संविधान संशोधन की प्रक्रिया क्या है?
भारत के संविधान को संशोधित करने की प्रक्रिया दो चरणों में संपन्न होती है:
- संविधान संशोधन विधेयक: पहले चरण में, संविधान संशोधन विधेयक द्वारा संविधान में कोई संशोधन करने की प्रस्तावित विधेयक पेश किया जाता है। इस विधेयक को लोक सभा और राज्य सभा में अलग-अलग बार में पारित करना होता है। अगर विधेयक दोनों सदनों में बहुमत से पारित होता है, तो वह राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है।
- राष्ट्रपति की संविधान संशोधन अधिसूचना: दूसरे चरण में, राष्ट्रपति द्वारा विधेयक के पारित होने के बाद संविधान संशोधन अधिसूचना जारी की जाती है। इसके बाद, संविधान में संशोधन लागू हो जाता है।
संविधान संशोधन की प्रक्रिया बहुत गंभीर होती है और इसमें संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों को संशोधित करने से पहले समझौते करने की आवश्यकता होती है।
संविधान की धारा 35A क्या है?
भारत के संविधान की धारा 35A जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे के लोगों के लिए नागरिकता के मामलों को संबोधित करती है। इस धारा के तहत, जम्मू-कश्मीर में निवास करने वाले विशेष दर्जे के नागरिकों को निम्नलिखित अधिकार प्राप्त होते हैं:
- संपत्ति खरीद और बेचने का अधिकार
- सरकारी नौकरी या अन्य सार्वजनिक क्षेत्र में रोजगार के लिए अधिकार
- अन्य भारतीय राज्यों में भारतीय नागरिकों के लिए आरक्षण से छूट
- शिक्षा और स्वास्थ्य अधिकारों में आरक्षण
इस धारा को 2019 में संविधान संशोधन अधिनियम के जरिए हटा दिया गया है। इससे जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त कर दिया गया है और अब वहां के नागरिकों के लिए भारत के सभी नागरिकों के साथ एक समान नागरिकता होती है।
भारतीय संविधान में 23 चैप्टर के अंतर्गत कुल 511 धाराएं है।
प्रत्येक अपराध के लिए भारतीय दंड संहिता एक सजा का निर्धारण करती है और भारतीय दंड संहिता(Indian Penal Code या IPC) का वह कोड IPC की धारा कहलाता है।
संविधान में कुल 551 पेज है।
भारतीय संविधान का वजन 3 किलो 75 ग्राम है।
हांलांकि भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 तक पूर्णतः बन चुका था किन्तु लागू 26 जनवरी 1950 में किया गया था।
जब संविधान सभा का गठन हुवा था तब कुल सदस्यों की संख्या 389 थी, किन्तु देश विभाजन और रियासतों के संविधान सभा में शामिल न होने से संविधान सभा में कुल सदस्यों संख्या घटकर 299 ही रह गई।
संविधान सभा को ड्राफ्टिंग कमेटी भी कहा जाता है और इसका गठन 6 दिसंबर 1946 को हुवा था।
संविधान सभा के प्रमुख सदस्य डॉ राजेन्द्र प्रसाद, भीमराव अम्बेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद थे। इनके अतिरिक्क लगभग सभी राज्यों, धर्मो और जातियों से विभिन्न सदस्य शामिल थे। सभी सदस्यों के नाम देखने के लिए यहाँ क्लिक करे।
भारतीय संविधान में अब तक 104 बदलाव किये जा चुके है इसके चलते भारत का सविधान दुनिया के सबसे ज्यादा संशोधित संविधानो की लिस्ट में आता है।
एक संविधान नियमों का एक मूलभूत समूह है जो किसी देश की शासन प्रणाली, न्याय प्रणाली और उसके नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों की रूपरेखा तैयार करता है। यह सभी नागरिकों को पालन करने के लिए नियमों, सिद्धांतों और कर्तव्यों का एक संगठित समझौता प्रदान करता है। यह सरकारी संस्थानों और नागरिकों के साथ-साथ उन संस्थानों की शक्तियों और कर्तव्यों के बीच संबंधों को निर्धारित करता है।
भारत का संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ था। भारतीय संविधान को निर्माण करने के लिए एक संविधान सभा बुलाई गई थी, जो 9 दिसंबर, 1946 से 24 जनवरी, 1950 तक चली थी। संविधान सभा के सदस्यों ने 26 नवंबर, 1949 को भारत के संविधान को स्वीकृत कर दिया था।
भारत के संविधान की धारा 370 जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को संबोधित करती है। इस धारा के तहत, जम्मू-कश्मीर में स्थिति अनुच्छेद 238 के तहत राज्य संघ से अलग होती है और इसे अपना संविधान, अपनी अपनी धारा 370 के तहत देश की राजनीति से अलग रखने की अनुमति दी जाती है। इस धारा के तहत, जम्मू-कश्मीर में भारत से अलग संविधान लागू होता है, जिसके तहत वहां के नागरिकों को विशेष अधिकार और लाभ प्रदान किए जाते हैं।
धारा 15 ने भारतीय नागरिकों को धर्म, जाति, लिंग और उम्र के आधार पर समान विचार की अवसर को सुनिश्चित करने के लिए समानता का अधिकार दिया
धारा 19 ने नागरिकों को आजादी के अधिकारों के लिए सुरक्षा प्रदान की है, जैसे कि व्यक्ति की जिंदगी और स्वतंत्रता की सुरक्षा।
धारा 21A ने नगरीय निकायों के अधिकारों को बढ़ाया है और नागरिकों को शिक्षा का अधिकार दिया है।
धारा 44 राज्यों को विशेष अधिकार और उपयोग के लिए राज्य के नागरिकों के लिए निर्दिष्ट विशेष सुविधाएँ प्रदान करती है।
भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर थे।
संविधान अमेंडमेंट एक विधि है जिससे संविधान में संशोधन किया जा सकता है। इसके द्वारा विभिन्न विधियों, धाराओं और अनुसूचियों को बदला जा सकता है।
संविधान सभा भारत के संविधान का निर्माण करने वाली संस्था थी जिसमें अधिवेशन के सदस्यों ने संविधान के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की थी।
संविधान किसी भी देश का आधारभूत दस्तावेज है, जो सरकार की शक्तियों को सीमित करता है, नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है, और कानून व न्याय प्रणाली को सुचारू रूप से चलाता है। यह भेदभाव रहित समाज का निर्माण करता है, लोकतंत्र को मजबूत करता है, और राष्ट्रीय एकता व अखंडता बनाए रखने में मदद करता है। संविधान सत्ता के दुरुपयोग को रोकते हुए विभिन्न समुदायों के बीच संतुलन और समानता स्थापित करता है। यही कारण है कि संविधान किसी भी देश के लिए अत्यंत आवश्यक है।
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