Nipah virus kya hai- केरल में कोरोना के कारण वहां के हालात काफी ख़राब हो चके है| केरल में कोरोना वायरस के सक्रिय पेशेंट की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, परन्तु इससे भी ज्यादा चिंतनीय विषय यह है कि यहाँ कोरोना के साथ एक बार फिर निपाह वायरस नें दस्तक दे दी है| निपाह नमक इस खतरनाक वायरस से एक 12 वर्षीय बच्चे की मृत्यु हो गयी है| इससे पहले केरल के कोझिकोड और मलप्पुरम जिले में यह वायरस वर्ष 2018 में फैला था, जिसमें लगभग 17 लोगो की मृत्यु हो गयी थी|
केरल में निपाह वायरस का आखिरी मामला वर्ष 2019 में कोच्चि में आया था, और अब एक बार फिर से यह संक्रमण फैलनें लगा है| विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization -WHO) नें इस वायरस को दुनिया के टॉप 10 सबसे खतरनाक वायरस की लिस्ट में शामिल किया है| निपाह वायरस (Nipah Virus) क्या है, इसके लक्षण, बचाव और इलाज के बारें में आपको यहाँ पूरी जानकारी प्रदान की जा रही है|
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निपाह वायरस क्या है (What Is Nipah Virus)
विषयसूची
निपाह वायरस बिल्कुल नए प्रकार का एक बेहद खतरनाक वायरस है, जो जानवरों के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है| यह एक प्रकार का वायरल इन्फेक्शन (Viral Infection) होता है, जिसके परिणाम बहुत ही गंभीर हो सकते है| सबसे दुख की बात यह है, कि अभी तक इसके लिए कोई कारगर दवा या वैक्सीन (Vaccine) की खोज नही हो पाई है| हालाँकि दुनियाभर के वैज्ञानिक इसकी वैक्सीन और दवा बनाने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत कर रहे है|
निपाह वायरस सबसे पहले मलेशिया (Malaysia) के काम्पुंग सुंगई निफा (Kampung Sungai Nipha) में पाया गया था| मलेशिया के बाद यह बांग्लादेश (Bangladesh) में पाया गया इसके बाद यह भारत पहुँच गया| आपको बता दें, कि इस बेहद खतरनाक निपाह वायरस को निप्स (Nips) के नाम से भी जाना जाता है|
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निपाह वायरस कैसे फैलता है (How Does Nipah Virus Spread)
विशेषज्ञों के अनुसार, फ्रूट बैट्स या चमगादड़ो में निपाह वायरस प्राकृतिक रूप (Natural Appearance) से पाया जाता है| इस सीधा अर्थ यह है कि यदि कोई व्यक्ति चमगादड़ो के सीधे संपर्क में आता है, तो वह व्यक्ति निपाह वायरस से संक्रमित हो सकता है| इसके आलावा दूषित भोजन करनें से भी यह वायरस इंसानों को संक्रमित कर सकता है|
दरअसल इस वायरस से संक्रमित चमगादड़ जब कोई फल खाते है, तो वह अपनी लार को उसी फल पर छोड़ देते है और ऐसे में इंसान जब उस फल का सेवन करते है, तो वह भी इससे संक्रमित हो जाते है| लार के आलावा यह वायरस चमगादड़ के मूत्र (Bat Urine) और संभावित रूप से उनके मल तथा जन्म के समय तरल पदार्थों में मौजूद होता है|
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निपाह वायरस के लक्षण क्या है (Symptoms of Nipah Virus)
निपाह वायरस से संक्रमित व्यक्ति को तेज बुखार, खांसी, थकान, साँस लेने में तकलीफ, मांसपेशियों में भयानक दर्द, एटिपिकल निमोनिया जैसे लक्षण दिख सकते है| वही यदि स्थिति अधिक गंभीर होनें पर इससे संक्रमित व्यक्ति इन्सेफेलाइटिस का शिकार हो सकता है|
विशेषज्ञों के मुताबिक, इन्सेफेलाइटिस (Encephalitis) होनें पर मस्तिष्क में सूजन (Brain Swelling) आ जाती है| ऐसे में पेशेंट की मृत्यु भी हो सकती है| वैसे तो इंसानों में निपाह वायरस के लक्षण 5 से 14 दिनों में दिखाई पड़ने लगते है, परन्तु कुछ मामलों में यह 40 से 45 दिनों का समय भी ले सकता है|
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निपाह वायरस की जांच कैसे होती है (How is Nipah Virus Tested)
निपाह वायरस की जाँच भी कोरोना वायरस की भांति होती है| कोरोना की जाँच के लिए जिस प्रकार आरटीपीसीआर (Real Time Polymerase Chain Reaction-RTPCR) टेस्ट होता है, ठीक उसी प्रकार निपाह वायरस के लिए भी यही जाँच की जाती है| इसके लिए खून के नमूने (Blood Samples) लिए जाते है अथवा बलगम (Mucus) आदि से भी जाँच की जा सकती है| इसमें इसमें एंटीबॉडी टेस्ट (Antibody Test) के लिए एलिजा (Eliza) भी किया जाता है|
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निपाह वायरस से बचाव के उपाय (How to prevent Nipah Virus)
1. इस खतरनाक वायरस के संक्रमण से बचनें के लिए कुछ भी खानें से पहले अपनें हाथों को अच्छी तरह से धुल लें|
2. दूषित फलों खासकर खजूर, आम या उनके जूस का सेवन करनें से बचे|
3. यदि निपाह वायरस से संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो उनका अंतिम संस्कार सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस के मुताबिक किया जायेगा|
4. यदि आपके घर में पशु पाले हुए है, तो उनको चारा आदि देते समय हाथों में दस्तानें और चेहरे पर मास्क अवश्य लगाये|
5. फ्रूट्स खरीदते और उन्हें खाते समय पूरी सावधानी बरते |
6. सुअरों और चमगादड़ो के संपर्क में आने से बचे|
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क्या है निपाह वायरस का इलाज (Nipah Virus Treatment)
निपाह वायरस से बचाव के लिए अभी तक किसी प्रकार की कोई दवा उपलब्ध नही है अर्थात खोज नहीं हुई है| इस वायरस का प्रभाव सबसे अधिक तंत्रिका तंत्र (Nervous System) पर पड़ता है, ऐसे में पीड़ित व्यक्ति को साँस लेने काफी समस्या होती है| हालाँकि साँस की तकलीफ दूर करनें के लिए कुछ सहायक दवाईयां दी जा सकती है परन्तु इससे जुड़े लक्षणों की पहचान और इलाज अत्यंत आवश्यक है|
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यह वायरस इतना खतरनाक है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस वायरस से संक्रमित होनें वाले लोगो में 40 से 75 फ़ीसदी लोगो की मृत्यु हो जाती है|
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