गिरफ़्तारी कैसे होती है- यदि हम अपराधों की बात करे तो भारत में अपराध करने वाले अपराधियों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है| भारतीय संविधान के अंतर्गत अपराध करने वाले अपराधियों के लिए अपराध के अनुसार सजा का प्राविधान है| भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अन्तर्गत प्रत्येक भारतीय नागरिक पूर्ण रूप से स्वतंत्र है| कोई भी भारतीय नागरिक जहाँ कानूनी प्रतिबन्ध नही है, उस स्थान पर स्वेच्छा से जा सकता है|
यदि कोई व्यक्ति कानून के नियमों का उल्लंघन करता है, या करनें की कोशिश करता है अथवा करनें की योजना बनाता है, तो उस पर कानूनी कार्यवाही की जा सकती है, इसके लिए उसे सबसे पहले गिरफ्तार किया जाता है| आईये जानते है गिरफ़्तारी कैसे होती है, गिरफ़्तारी व्यक्ति के अधिकार, चार्जशीट, रिमांड के बारें में आज हम यहाँ विस्तार से चर्चा करेंगे |
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गिरफ़्तारी किसे कहते है (Who Is Arrested)
विषयसूची
भारतीय संविधान के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति कानून के नियमों का उल्लंघन करते हुए पाया जाता है, या करनें की कोशिश करता है अथवा करने की योजना बनाता है, तो ऐसे व्यक्ति को पुलिस सी.आर.पी.सी (CrPC) की धारा 41 के अनुसार उसे बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है|
यदि किसी अपराध में कोई व्यक्ति शामिल है, और वह पुलिस की पकड़ से बाहर है तो ऐसी स्थिति में सी.आर.पी.सी की धारा 75 के अनुसार मजिस्ट्रेट द्वारा अमुख व्यक्ति के नाम से गिरफ़्तारी का वारंट जारी किया जाता है, इसके पश्चात उसे गिरफ्तार किया जाता है| सीआरपीसी (CrPC) की धारा 57 के अंतर्गत पुलिस किसी व्यक्ति को 24 घंटे से अधिक अपनी हिरासत में नहीं रख सकती |
यदि पुलिस किसी को 24 घंटे से अधिक हिरासत में रखना चाहती है, तो उसको सीआरपीसी की धारा 56 के तहत मजिस्ट्रेट से इजाजत लेनी होगी और मजिस्ट्रेट इस संबंध में इजाजत देने का कारण भी स्पष्ट रूप से बताएगा|
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गिरफ्तारी के नियम और अधिकार (Arrest Rules and Rights)
किसी भी पुलिस अधिकारी द्वारा अमुख व्यक्ति को गिरफ्तार करते समय अपने नाम व पद का सही विवरण देगा| इसके साथ ही गिरफ्तार करनें वाले अधिकारी को यह भी स्पष्ट करना होगा कि जिस अमुख व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा रहा है, वह कानून का उल्लंघन करने वाला है, या कर चुका है या करने की तैयारी कर रहा है|
सीआरपीसी की धारा 41 (ख) के अनुसार पुलिस गिरफ्तार किये गए व्यक्ति को कम से कम एक साक्षी द्वारा जो उसके परिवार का सदस्य है, उससे अनुप्रमाणित करेगा। सी.आर.पी.सी की धारा 41(ग) के अनुसार सरकार प्रत्येक जिलों में एक पुलिस नियंत्रण कक्ष स्थापित करेगी तथा नियंत्रण कक्ष के बाहर लगे नोटिस बोर्ड पर गिरफ्तार किये गए व्यक्ति के नाम व पते से सम्बंधित विवरण प्रदर्शित करेगी।
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गिरफ्तार व्यक्ति के अधिकार (Rights Of Arrested Person)
1.सी.आर.पी.सी की धारा 41(घ) के अनुसार किसी भी गिरफ्तार व्यक्ति को अपने पसंद के वकील अर्थात अधिवक्ता से मिलने का अधिकार है।
2.भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22 (1) में भी गिरफ्तार व्यक्ति को अपनी पसंद के लीगल प्रेक्टिसनर से परामर्श करने का मौलिक अधिकार प्राप्त है।
3.सी.आर.पी.सी की धारा 50 (1) के अनुसार किसी व्यक्ति को वारण्ट के बिना गिरफ्तार करने वाला पुलिस अधिकारी उस व्यक्ति को उस अपराध की, जिसके लिए वह गिरफ्तार किया गया है, ऐसी गिरफ्तारी के अन्य आधार तुरंत सूचित करेगा।
4.सी.आर.पी.सी की धारा 54 (क) के अनुसार गिरफ्तार होने के बाद गिरफ्तार व्यक्ति की पहचान की जाएगी कि वह उक्त व्यक्ति सही गिरफ्तार किया गया है या नहीं।
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रिमांड किसे कहते है (What is Remand)
यदि किसी व्यक्ति को किसी प्रकरण में गिरफ्तार किया जाता है, तो जाँच एजेंसी उससे अन्य जानकारी प्राप्त करने के लिए आरोपी को रिमांड पर ले सकती है। किसी भी गिरफ्तार व्यक्ति को अदालत में पेशी के बाद 14 दिनों तक पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया जा सकता है। लेकिन इसके लिए जाँच एजेंसी को अदालत को यह स्पष्ट करना होता है, कि अमुख व्यक्ति को रिमांड पर क्यों लिया जा रहा है? इसके लिए उन्हें अदालत के समक्ष ऐसे तथ्य पेश करने होते हैं और अदालत जब जांच एजेंसी की दलीलों से संतुष्ट होती है, तभी आरोपी को रिमांड पर भेजा जाता है।
ट्रांजिट रिमांड क्या होता है (What Is Transit Remand)
CrPC की धारा की धारा 72 के अनुसार, यदि अपराधी या आरोपी को किसी दूसरे राज्य की पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाता है, तो उस गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घंटे अंदर स्थानीय अदालत में पेश करना होता है। स्थानीय अदालत से प्रत्यर्पण की अनुमति लेकर ही दूसरे राज्य की पुलिस उसे अपने क्षेत्र में ले जाती है। प्रत्यर्पण की इस अनुमति को ही ट्रांजिट रिमांड कहते हैं।
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