एनजीटी (NGT) क्या है | NGT Full Form | एनजीटी का उद्देश्य | सजा का प्रावधान

National Green Tribunal – NGT के विषय में जानकारी– प्रत्येक देश पर्यावरण की समस्या से ग्रस्त है | भारत में प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक बढ़ गया है, इसकी रोकधाम के लिए एक ऐसी संस्था की आवश्यकता अनुभव की गयी जो पर्यावरण से सम्बंधित तेजी से निर्णय ले सके | इसी की पूर्ति के लिए NGT का गठन किया गया है | यदि आपको NGT के विषय में जानकारी नहीं है, तो इस पेज पर एनजीटी (NGT) क्या है, NGT Full Form, एनजीटी का उद्देश्य, सजा का प्रावधान के विषय में पूरी जानकारी विस्तार से प्रदान की जा रही है|

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एनजीटी फुल फॉर्म (NGT Full Form in Hindi)

NGT का फुल फॉर्म ‘National Green Tribunal’ है | हिंदी भाषा में इसे ‘राष्ट्रीय हरित अधिकरण’ के नाम से जाना जाता है| जब इसकी स्थपाना की गयी थी, उस समय पूरे विश्व में भारत तीसरा देश था जिसने विशेष पर्यावरण न्यायाधिकरण (Specialised Environmental Tribunal) का गठन किया था | भारत से पहले ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के द्वारा इस प्रकार का गठन किया गया था|

NGT Full Form In EnglishNational Green Tribunal
एनजीटी फुल फॉर्म इन हिंदीराष्ट्रीय हरित अधिकरण

एनजीटी की स्थापना (Establishment of NGT)

एनजीटी की स्थापना 18 अक्तूबर 2010 को राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम  2010 के अंतर्गत की गई थी | नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एक्ट 2010 के अंतर्गत भारतीय नागरिकों को स्वस्थ पर्यावरण प्रदान करने के अधिकार के विषय में विस्तार पूर्वक बताया गया है|

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एनजीटी का उद्देश्य (The Purpose Of NGT)

एनजीटी का उद्देश्य भारत में पर्यावरण से सम्बंधित मामलों को तेजी के साथ निर्णय प्रदान करना है, जिससे भारत की न्यायपालिका पर मुकदमों का बोझ कम हो सके | एनजीटी के द्वारा दिए गए निर्णय के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में 90 दिनों के अंदर याचिका डाली जा सकती है|

एनजीटी का मुख्यालय (Headquarters of NGT)

एनजीटी का मुख्यालय भारत की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में है, इसके अतिरिक्त इसके चार क्षेत्रीय कार्यालय भोपाल, पुणे, कोलकाता एवं चेन्नई में स्थापित किये गए है | जब भी एनजीटी के पास कोई मामला आता है तो उस मामले को 6 महीने के अंदर समाप्त करना अनिवार्य होता है|

एनजीटी संगठन का प्रारूप (NGT Organization Format)

एनजीटी अधिनियम के अनुसार इस संगठन में अध्यक्ष, न्यायिक सदस्य और विशेषज्ञ सदस्य को सम्मिलित किया जाता है | इन सभी का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है | एक बार नियुक्त हो जाने के बाद पुनः इन्हें नियुक्त नहीं किया जा सकता है |

एनजीटी के अध्यक्ष की नियुक्ति केंद्र सरकार के द्वारा मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से होती है| अन्य न्यायिक और विशेषज्ञ सदस्यों के लिए भारत सरकार के द्वारा एक चयन समिति का गठन किया जाता है| अधिनियम के अनुसार इनकी संख्या न्यूनतम 10 और अधिकतम 20 हो सकती है|

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एनजीटी का कार्य क्षेत्र (NGT Work Area)

एनजीटी में नीचे दिए गए अधिनियम के अंतर्गत मामले पेश किये जा सकते है-

1.जैव विविधता कानून 2002

2.वन संरक्षण कानून 1980

3.जल (रोक और प्रदूषण नियंत्रण) उपकर कानून, 1977

4.पब्लिक लायबिलिटी इन्श्योरेंस कानून 1991

5.जल (रोक और प्रदूषण नियन्त्रण अधिनियम, 1974)

6.वायु (रोक और प्रदूषण नियन्त्रण) अधिनियम 1981

7.पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986

महत्वपूर्ण जानकारी- वन्य जीव संरक्षण कानून 1972, भारतीय वन कानून 1927 तथा राज्य सरकार के अधीन जंगल और पेड़ की रक्षा हेतु कानून NGT क्षेत्राधिकार में सम्मिलित नहीं किये गए है | उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका के द्वारा मुकदमें किये जा सकते है| 

एनजीटी में आवेदन कैसे करे (Application Process In NGT)

1. यदि व्यक्ति को कानून की जानकारी हो तो वह अपना मुकदमा स्वयं लड़ सकता है |

2. एनजीटी में आवेदन के लिए 1000 रूपये की फीस जमा करनी होती है |

3. अगर व्यक्ति क्षति-पूर्ति चाहता है, तो उसे को अपने दावे की राशि का एक प्रतिशत न्यायालय में जमा करना अनिवार्य है |

4. जब NGT के द्वारा अपना निर्णय दिया जाता है, उस समय एनजीटी के द्वारा मज़बूत विकास को ध्यान में रखा जाता है | इसमें पर्यावरण को हानि न पहुंचे इस पर विशेष रूप से जोर दिया जाता है |

5. जब लोगो द्वारा पर्यावरण को किसी भी तरह से नुकसान पहुँचाया जाता है, तो इसके जिम्मेदार लोगों से इसकी भरपाई के रूप में जुर्माना देना होता है| 

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सजा का प्रावधान (Provision Of Punishment)

एनजीटी के द्वारा जब कोई निर्णय प्रदान किया जाता है और जब उस निर्णय अवहेलना किसी व्यक्ति या संस्था के द्वारा की जाती है, तो उसके जिम्मेदार व्यक्ति को 3 वर्ष की सजा या दस करोड़ रूपये तक का जुर्माना अथवा दोनों ही दिए जा सकते है|

संविधान में अनुच्छेद 48 (ए) और 51 (ए)

संविधान के निर्माण के समय पर्यावरण से सम्बंधित किसी भी प्रकार का प्रावधान नहीं किया गया था | इसलिए पर्यावरण को बचाने के लिए अनुच्छेद 48 (ए) तथा 51 (ए) जोड़ा गया है |

अनुच्छेद 48 (ए) – इस अनुच्छेद के अंतर्गत राज्य सरकार को आदेश प्रदान किया जाता है कि वह पर्यावरण की सुरक्षा और सुधार सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाये |

अनुच्छेद 51 (ए) – इस अनुच्छेद के अंतर्गत नागरिकों का यह कर्तव्य निर्धारित किया गया है, वह अपने आस- पास के क्षेत्र में पर्यावरण की रक्षा करें, उसका संवर्द्धन और सभी जीव- जंतुओं के साथ दया के भाव के साथ पेश आये |

एनजीटी के महत्वपूर्ण निर्णय (NGT Decision)

1. ओडिशा सरकार और स्टील निर्माता कंपनी POSCO ने वर्ष 2012 में एक अनुबंध किया था | इस अनुबंध से आस-पास के ग्रामीण क्षेत्र और जंगलों को बहुत ही क्षति पहुँचती जिस कारण NGT के द्वारा इसे निरस्त कर दिया गया |

2. वर्ष 2012 में एनजीटी के द्वारा खुले में कचरा जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है |

3. वर्ष 2013 में उत्तराखंड राज्य में अलकनंदा हाइड्रो पावर लिमिटेड को एनजीटी के द्वारा क्षतिपूर्ति प्रदान करने का निर्णय दिया गया |

4. वर्ष 2015 में 10 वर्षों से अधिक पुराने सभी डीज़ल वाहनों को दिल्ली-NCR में पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया |

5. वर्ष 2017 में आर्ट ऑफ लिविंग फेस्टिवल हेतु NGT के द्वारा 5 करोड़ रुपए का ज़ुर्माना लगाया गया| इसके साथ ही इसके द्वारा 50 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगा दिया गया |

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एनजीटी की वेबसाइट पर शिकायत कैसे करें (Register Complaint On NGT Website)

शहरों में सभी प्रकार की सुविधाएँ उपलब्ध होनें के बाद भी लोगो के सामनें कूड़ा, गन्दगी आदि को फेकनें की समस्या सबसे अधिक होती है| हालाँकि इसके लिए नगर पालिका या नगर निगम द्वारा पूरी व्यवस्था की जाती है| इसके बावजूद भी यदि किसी स्थान पर कूड़ा, गंदगी व साफ-सफाई नहीं होती है, तो आप आधिकारिक वेबसाइट https://greentribunal.gov.in/ पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते है|

यदि आप पूर्वी उत्तर प्रदेश में रहते है, तो आप कूड़ा, गंदगी व अव्यवस्थित साफ-सफाई, नदियों व जलाशय में प्रदूषण संबंधी शिकायत के लिए https://rivermonitoring-up.in/  वेबसाइट पर ऑनलाइन कंप्लेंट कर सकते है| इस वेबसाइट पर फोटो आदि भी अपलोड करने की सुविधा दी गयी है।  

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2 thoughts on “एनजीटी (NGT) क्या है | NGT Full Form | एनजीटी का उद्देश्य | सजा का प्रावधान”

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  2. सार्वजनिक संपत्ति पर गिट्टी बालू का अवैध कारोबार कर वायु प्रदूषण फैलाने के खिलाफ शिकायत :-
    सक्षम प्राधिकारी महोदय,
    वाराणसी जनपद में, बनारस रेलवे स्टेशन (पूर्व नाम मंडुआडीह) के पास रेलवे लाइन के किनारे जो कि उत्तरी ककरमत्ता मोहल्ला में जाने का प्रमुख मार्ग है l
    उस रास्ते के किनारे स्थानीय बनारसी राय (सत्यम सीमेंट एजेंसी) द्वारा खुले स्थान पर गिट्टी बालू का अवैध कारोबार किया जाता है जिससे कि स्थानीय निवासी लोगों को उसके धूल से सांस लेने व दम घुटने लगता है l
    अतः आपसे विशेष अनुरोध है कि उक्त सार्वजनिक रास्ते के किनारे पर उक्त अवैध कारोबार को तत्काल प्रतिबंधित करने की आवश्यकता है l इस कारोबार में स्थानीय पुलिस भी संलिप्त है
    अतः आपसे विशेष निवेदन है कि उक्त समस्या का निराकरण करने की कृपा करें l ताकि वायु प्रदूषण को रोकने में मदद मिल सके l

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