विश्वास मत और अविश्वास प्रस्ताव क्या है | अंतर | अनुच्छेद

भारत एक लोकतांत्रिक देश है | यहां पर संसदनात्मक प्रणाली को अपनाया गया है | इस प्रणाली में राज्य सरकार या केंद्र सरकार को चुनने के लिए प्रत्यक्ष चुनाव का आयोजन किया जाता है | यह चुनाव निर्वाचन आयोग के द्वारा संपन्न कराये जाते है | इसमें वयस्क मतदाता अपने मतदान के माध्यम से अपना जन- प्रतिनिधि को चुनते है | यह जन- प्रतिनिधि मिलकर ही सरकार का गठन करते है | राज्य सरकार और केंद्र सरकार को बहुमत साबित करना होता है इसके लिए वह विश्वास मत को प्राप्त करते है, इसके बाद ही वह सरकार चला सकते है| विपक्षी दल के द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है | यदि अविश्वास प्रस्ताव पास हो जाता है, तो सरकार गिर जाती है | विश्वास मत और अविश्वास प्रस्ताव क्या है, इनमें अंतर और इसके लिए अनुच्छेद के विषय में जानकारी प्रदान की जा रही है|

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विश्वास मत क्या है (What Is Confidence Motion)

केंद्र सरकार में विश्वास मत या प्रस्ताव प्रधानमंत्री के द्वारा लोकसभा में और राज्य सरकार में विश्वास मत विधान सभा में मुख्यमंत्री के द्वारा पेश किया जाता है| सरकार का अस्तित्व बना रहे, इसके लिए विश्वास प्रस्ताव या मत का पास होना आवश्यक है| यदि किसी कारण से विश्वास प्रस्ताव या मत पास नहीं हो पाता है, तो सरकार गिर जाती है और प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री को अपने पद से इस्तीफा देना होता है|

विश्वास प्रस्ताव दो परिस्थिति में लाया जाता है, जब चुनाव के बाद नयी सरकार का गठन होनें के समय बहुमत परीक्षण के द्वारा विश्वास प्रस्ताव को लाया जाता है |दूसरी परिस्थिति में जब सहयोगी दल अपना समर्थन वापस लेने की घोषणा कर देते है उस समय राष्ट्रपति या राज्य पाल के द्वारा बहुमत साबित करने के लिए कहा जाता है | सरकार बहुमत साबित करने के लिए विश्वास मत या प्रस्ताव को पेश करती है और उसको पास कराने का हरसंभव प्रयास करती है | यदि विश्वास मत या प्रस्ताव पास नहीं होता है, तो सरकार गिर जाती है|

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अविश्वास प्रस्ताव क्या है (What Is No Confidence Motion)

विपक्षी दल के द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जाता है | जब विपक्षी दल को प्रतीत होता है कि सरकार के सहयोगी दलों में किसी प्रकार की समस्या है | उस समय विपक्षी दल के द्वारा अविश्वास प्रस्ताव को पेश करके सरकार को गिराने का प्रयास किया जाता है | अविश्वास प्रस्ताव को स्पीकर के समक्ष पेश किया जाता है यदि स्पीकर इस प्रस्ताव को पेश करने की अनुमति प्रदान कर देते है, तो एक निर्धारित तिथि को सदन के सदस्यों के द्वारा इस पर मतदान किया जाता है | यदि अविश्वास प्रस्ताव पास हो जाता है तो सरकार गिर जाती है |

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अविश्वास प्रस्ताव और विश्वास मत के लिए अनुच्छेद

भारतीय संविधान के अनुच्छेद-75 के अंतर्गत केंद्र सरकार को लोकसभा के प्रति जवाबदेह बनाया गया है | अविश्वास प्रस्ताव और विश्वास प्रस्ताव (मत) के लिए संविधान में प्रक्रिया का लोप है | इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 118 के अंर्तगत कहा गया है, कि कोई भी सदन संसदीय प्रक्रिया हेतु नियम का निर्माण कर सकता है| संसदीय प्रक्रिया के नियम 198 के अंतर्गत अविश्वास प्रस्ताव को लाया जाता है| नियम 198 (2) के अंतर्गत अविश्वास प्रस्ताव के लिए न्यूनतम 50 सदस्यों का होना अति आवश्यक है|

विश्वास प्रस्ताव और अविश्वास प्रस्ताव में अंतर

Difference between motion of confidence and no-confidence motion- दरअसल विश्वाश मत और अविश्वास प्रस्ताव भारतीय संसद अर्थात पार्लियामेंट प्रक्रिया के अंग है| इस प्रक्रिया के अंतर्गत सदन में बननें वाली सरकार के बहुमत को जांचा जाता है| आपको बता दें, कि अविश्वास प्रस्ताव सदैव विरोधी दलों अर्थात विपक्षी पार्टियों द्वारा लाया जाता है| जबकि विश्वास मत अथवा विश्वास प्रस्ताव अपना बहुमत सिद्द करनें के लिये सत्ताधारी पार्टी लेकर आती है|

संसदीय प्रावधान के अनुसार, विपक्ष द्वारा एक बार अविश्वास प्रस्ताव लाने के पश्चात पुनः इसे 6 माह बाद ही लाया जा सकता है| जबकि विश्वास मत मौजूदा सरकार की तरफ से लाया जाता है, इस वजह से इस पर यह कानून लागू नहीं होता| 

यदि सरकार सदन में विश्वास प्रस्ताव के दौरान सामान्य बहुमत सिद्द करनें में असफल हो जाती है, तो ऐसी स्थिति में सरकार को इस्तीफा देना होता है या लोकसभा या फिर विधानसभा भंग करके राष्ट्रपति या राज्यपाल से आम चुनाव की सिफारिश की जा सकती है|

हालाँकि यह राष्ट्रपति और राज्यपाल पर निर्भर करता है, कि वह नई सरकार को आमंत्रित करें, यदि किसी करणवश ऐसा संभव नहीं है, तो चुनाव संपन्न होने और नई सरकार के बनने तक वर्तमान सरकार को कार्यवाहक सरकार के रूप में कार्य करनें के लिए कहा जाता है|

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