साइबर क्राइम | साइबर कानून क्या है | साइबर लॉ का उद्देश्य ?

आपने कभी साइबर क्राइम का नाम सुना है मुझे यकीन है आपने सुना ही होगा। तो आपको क्या लगता है साइबर क्राइम क्या है? तो हम आपको बताते है वो क्या है? जब कोई व्यक्ति किसी कंप्यूटर, मोबाइल या किसी ऐसे डिवाइस की सहायता से कोई गलत काम करता है जिसका दूसरे व्यक्ति पर बुरा असर पड़ता है उसे ही साइबर क्राइम कहते हैं। लेकिन हमारे देश में इन सब क्राइम के लिए भी कानून बनाए गए है जिसके तहत फिर उन लोगो को दंड दिया जाता है। क्या आपको साइबर कानून के बारे में जानकारी है अगर नही है तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको अपने साइबर कानून और लॉ से आपको अवगत कराएंगे बस आप इस आर्टिकल को अंत तक पढ़िए।

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साइबर क्राइम क्या है? | What Is Cyber Crime

साइबर कानून जानने से पहले हमे यह बता होना चाहिए कि साइबर क्राइम क्या है, तथा यह कैसे किया जाता है ? साइबर क्राइम वो क्राइम है जिससे कोई भी व्यक्ति या संघ कंप्यूटर, मोबाइल या अन्य किसी डिवाइस के द्वारा इन्टरनेट या बिना इंटरनेट की सहायता से किसी और व्यक्ति को नुकसान पहुंचाता है। उससे ही साइबर क्राइम कहते है।

साइबर क्राइम एक ऑनलाइन अपराध होता है जो कंप्यूटर या इंटरनेट द्वारा किया जाता है। इसमें कंप्यूटर नेटवर्क, साइबर स्पेस या इंटरनेट के माध्यम से इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी, संपत्ति और व्यक्तिगत जानकारी के बराबर उपयोग, अनधिकृत उपयोग, ऑनलाइन शोषण, ऑनलाइन धमकी और ऑनलाइन फ्रॉड जैसे अपराध शामिल होते हैं। साइबर क्राइम का फलस्वरूप हर साल लाखो लोगो को नुकसान भी होते हैं, जो व्यक्तिगत, आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक हो सकते हैं।

उदाहरण के रूप में, साइबर क्राइम में शामिल होने वाले अपराधों में शामिल हो सकते हैं: वेबसाइट धोखाधड़ी, वेबसाइट हैकिंग, फिशिंग, वेबसाइट से वायरस, ट्रोजन और मैलवेयर डाउनलोड करना, आधार कार्ड, बैंक खाते और क्रेडिट कार्ड की चोरी, रैंसमवेयर और डेटा चोरी जैसे अपराध।

इन अपराधों का विस्तार विभिन्न ढंगों में किया जाता है, जैसे कि साइबर शोषण, ऑनलाइन बुलिंग, ऑनलाइन निगरानी के बावजूद ऑनलाइन धमकी देना, साइबर चुटकुले और साइबर स्टॉक मार्केट में फ्रॉड। इन अपराधों के द्वारा लोगों की व्यक्तिगत जानकारी का उपयोग किया जाता है, जो उन्हें आर्थिक नुकसान, उनकी आधारभूत मान्यताओं को खतरे में डाल सकता है।

साइबर क्राइम के खिलाफ लड़ाई में शामिल होने के लिए, सरकारें, निजी क्षेत्र की कंपनियाँ और व्यक्तिगत उपयोगकर्ता सभी अपने तंत्रों को सुरक्षित रखने के लिए सामूहिक रूप से काम करने की आवश्यकता है। साइबर सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने, साइबर क्राइम को रोकने और अपराधियों को सजा दिलाने के लिए सुचारु कार्यवाही की जरूरत है।

इसके लिए, साइबर सुरक्षा नीतियों, तंत्रों और संरचनाओं को उन्नत किया जाना चाहिए। विभिन्न सेक्टरों जैसे वित्तीय, सरकारी और व्यावसायिक संसथाओं में साइबर सुरक्षा को अपने तंत्रों में शामिल करने की जरूरत है। इसके अलावा, उपयोगकर्ता शिक्षा को भी महत्वपूर्ण माना जाना चाहिए, ताकि वे सुरक्षित ऑनलाइन रह सकें और अपनी जानकारी को सुरक्षित रख सकें।

साइबर सुरक्षा के लिए अलग-अलग तरीकों का उपयोग किया जाता है। ये तरीके शामिल होते हैं: साइबर सुरक्षा की नीतियां, तंत्र, सुरक्षा सॉफ्टवेयर, नेटवर्क सुरक्षा, ऑनलाइन सुरक्षा शिक्षा और साइबर सुरक्षा कानूनों के लिए संगठन।

इन तरीकों में से कुछ चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं, जैसे कि साइबर सुरक्षा की नीतियां बनाना और संचालित करना। इसलिए, इसके लिए सभी स्तरों पर काम करने की आवश्यकता होती है, जिसमें सरकार, निजी क्षेत्र की कंपनियां, अकादमिक संस्थाएं और सार्वजनिक संस्थाएं शामिल होती हैं।

इसलिए, साइबर क्राइम एक गंभीर समस्या है जो समाज के सभी वर्गों को प्रभावित करती है।

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आज से कुछ साल पहले तक भारत में साइबर क्राइम करने के बाद किसी भी तरह की कोई सजा नही हो पाती थी क्योंकि हमारे देश के इसके लिए किसी प्रकार का कोई कानून ही नही था। पहले साइबर क्राइम करने वाले व्यक्ति के बारे में पता करना भी काफी मुश्किल था क्योंकि वो ट्रैंड होते थे अपनी पहचान छुपाने में। लेकिन जब साइबर क्राइम के मामले देश में काफी बढ़ने लगे तो भारत सरकार द्वारा साइबर कानून की शुरुवात की गई। इस आर्टिकल के निचले सेक्शन में हम साइबर कानून से जुड़ी हुई चीजों के बारे में प्रकाश डालेंगे।

साइबर क्राइम के प्रकार | Types Of Cyber Crime

साइबर क्राइम दो प्रकार से किए जाते है।

  • पहले प्रकार में किसी के द्वारा आपके कंप्यूटर, मोबाइल या किसी अन्य डिवाइस पर हमला किया जाता है और आपका डिवाइस हैक कर लिया जाता है। जिसके बाद आपके फोन का कंट्रोल उस हैकर के पास आ जाता है।
  • दूसरे प्रकार में किसी कंप्यूटर की सहायता से अपराधो को अंजाम दिया जाता है जैसे किसी किसी प्रकार का फ्रॉड, पोर्नोग्राफी आदि चीजे जुड़ी होती है।

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साइबर कानून क्या है? | What Is Cyber Law

साल 2008 में भारत के कानून में साल 2000 के आईटी सेक्टर से जुड़े कानून के अन्दर और अधिनियम जोड़ कर साइबर कानून का प्रस्ताव पारित किया गया और उसे कानून का एक हिस्सा माना गया। साइबर कानून को इस लिए शुरू किया गया क्योंकि जब से भारत में इंटरनेट की शुरुवात हुई थी तब से ही साइबर क्राइम के केस आने लगे थे जिसको नियंत्रण में लाने के लिए भारत सरकार द्वारा साल 2008 में साइबर कानून लाया गया था।

साइबर कानून के द्वारा सरकार यह नियंत्रित करती है कि कोई भी व्यक्ति इंटरनेट का प्रयोग किसी गलत काम के लिए तो नही कर रहा है। साइबर कानून के माध्यम से लोग यह भी जान सकते है कि भारतीय कानून के अनुसार व्यक्ति को क्या क्या चीज करने की आजादी है और भारतीय कानून का साइबर लॉ उन्हे क्या क्या चीजे करने से रोकता है।

भारत में साइबर क्राइम को रोकने के लिए कुछ कानून हैं। निम्नलिखित कुछ अधिनियम हैं:

भारतीय दण्ड संहिता, 1860: इस अधिनियम के तहत, साइबर अपराधों के लिए सजा हो सकती है। इस अधिनियम के अनुसार, कंप्यूटर अपराध, ईमेल और डाटा हैकिंग, ऑनलाइन आपराध, और वेबसाइट का उपयोग अनधिकृत रूप से करना आदि साइबर अपराधों के तहत आते हैं।

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000: यह अधिनियम साइबर अपराधों को रोकने के लिए बनाया गया था। इस अधिनियम के तहत, साइबर अपराधों के लिए सजा हो सकती है। इस अधिनियम में इंटरनेट और कंप्यूटर अपराधों से संबंधित विवरण दिए गए हैं।

विश्व साइबर स्पेस अधिनियम, 2021: यह अधिनियम साइबर अपराधों को रोकने और उनसे निपटने के लिए बनाया गया है। इस अधिनियम में ऑनलाइन गुड़गुड़ाहट और दुर्भाग्यपूर्ण नाटक से जुड़े साइबर अपराधों को शामिल किया गया है।

इन अधिनियमों के अलावा, भारत सरकार ने भी कई साइबर सुरक्षा नीतियां बनाई हैं। ये नीतियां भारत में साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई हैं और साइबर अपराधों को रोकने और उनसे निपटने के लिए कदम उठाने की दिशा में हैं।

भारत सरकार ने निम्नलिखित साइबर सुरक्षा नीतियां बनाई हैं:

साइबर सुरक्षा नीति, 2013: यह नीति भारत में साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई थी। इस नीति का मुख्य उद्देश्य साइबर सुरक्षा को संभालने और अपराधों से लड़ने के लिए नीतिगत उपायों को संशोधित करना था।

संगठित अपराधों के विरुद्ध संघर्ष योजना (ओडीएस), 2018: यह योजना साइबर अपराधों के विरुद्ध संघर्ष को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य साइबर अपराधों को रोकने और उनसे निपटने के लिए कदम उठाना था।

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भारत सरकार ने साइबर सुरक्षा के लिए निम्नलिखित कदम भी उठाए हैं:

नेशनल साइबर सिक्योरिटी कोऑर्डिनेशन सेंटर (NCSC): भारत सरकार ने NCSC नामक संस्था को स्थापित किया है जो साइबर सुरक्षा समस्याओं को संभालने और उनसे निपटने के लिए बनाई गई है। NCSC भारत में साइबर सुरक्षा से जुड़ी रोचक जानकारियों के लिए भी जाना जाता है।

साइबर सुरक्षा अभ्यासक्रम: सरकार ने साइबर सुरक्षा अभ्यासक्रम की शुरुआत की है जो साइबर सुरक्षा से जुड़े लोगों को निशुल्क शिक्षा देने के लिए बनाया गया है। इस अभ्यासक्रम के माध्यम से, लोग साइबर सुरक्षा और साइबर अपराधों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

साइबर सुरक्षा अभियान: सरकार ने साइबर सुरक्षा अभियान शुरू किया है जो साइबर सुरक्षा के लिए जागरूकता फैलाने और लोगों को साइबर सुरक्षा उपकरणों के उपयोग के बारे में संज्ञान बढ़ाने के लिए बनाया गया है।

इन सभी कदमों के अलावा, भारत में कई साइबर क्राइम को रोकने के लिए कानून हैं। कुछ महत्वपूर्ण कानूनों की सूची निम्नलिखित है:

आईटी एक्ट: भारत में सभी साइबर क्राइम के लिए आईटी एक्ट 2000 लागू होता है। यह एक बहुत बड़ा कानून है जो भारत में इंटरनेट संबंधी अपराधों के लिए लागू होता है। इसके तहत, व्यक्ति को साइबर अपराध के लिए कारण होने पर जेल की सजा दी जा सकती है।

इंडियन पेनल कोड: साइबर अपराध के कुछ विशेष अधिकार और करवाईयां भारतीय पेनल कोड के तहत की जा सकती हैं।

नारकोटिक्स एंड प्साइकोट्रोपिक सब्स्टेंसेज एक्ट: इस एक्ट के तहत, साइबर क्राइम से जुड़े व्यक्ति को नशीली दवाओं के वितरण में शामिल होने के लिए जेल की सजा दी जा सकती है। भारत सरकार ने साइबर सुरक्षा और साइबर क्राइम को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। हालांकि, फिर भी, साइबर क्राइम की मात्रा बढ़ती जा रही है,

इसलिए सुरक्षा के मामले में अधिक सख्त कानूनों की जरूरत है। साथ ही, इस समस्या को रोकने के लिए लोगों को भी सक्षम बनाने की जरूरत है, जैसे कि साइबर सुरक्षा संबंधी जागरूकता बढ़ाना और सुरक्षा के लिए अपनी संचार और इंटरनेट संबंधी गतिविधियों को सुरक्षित बनाए रखना।

इसके अलावा, सरकार ने साइबर सुरक्षा बढ़ाने के लिए कई पहल शुरू की हैं। इनमें से कुछ हैं:

  1. साइबर सुरक्षा सेल: भारत सरकार ने एक साइबर सुरक्षा सेल स्थापित की है जो साइबर सुरक्षा के मामलों के लिए जवाबदेह होता है।
  2. साइबर सुरक्षा नीतियां: भारत सरकार ने साइबर सुरक्षा के लिए नीतियों का निर्माण किया है जो लोगों को साइबर सुरक्षा संबंधी जागरूकता बढ़ाने और सुरक्षा को बढ़ाने के लिए संचार के लिए सुरक्षित निर्देश देती हैं।
  3. साइबर रक्षा अधिनियम: भारत सरकार ने साइबर रक्षा अधिनियम 2013 को लागू किया है जो साइबर सुरक्षा संबंधी जवाबदेहियों को बढ़ाता है। इस अधिनियम के तहत साइबर क्राइम के लिए कई प्रकार के दंड समेत जुर्माने और सज़ा के निर्धारण की व्यवस्था है। इस अधिनियम के तहत साइबर अपराधों के विरुद्ध शिकायत दर्ज की जा सकती है और संज्ञानाधिकारी द्वारा जांच और कार्रवाई की जा सकती है।
  4. साइबर सुरक्षा स्ट्रेटेजी: भारत सरकार ने साइबर सुरक्षा के लिए एक नेशनल साइबर सुरक्षा स्ट्रेटेजी तैयार की है जो देश में साइबर सुरक्षा को बढ़ाने के लिए उच्च स्तर पर नीति निर्धारित करती है।
  5. साइबर सुरक्षा शिक्षा: भारत सरकार ने साइबर सुरक्षा को बढ़ाने के लिए लोगों को संचार के लिए सुरक्षित बनाने के लिए शिक्षा कार्यक्रम भी शुरू किए हैं। इसमें लोगों को साइबर सुरक्षा से जुड़ी बुनियादी जानकारी, सुरक्षित इंटरनेट गतिविधियों और सुरक्षित डिजिटल अंतराक्षर बनाने के तरीके सिखाए जाते हैं।

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साइबर कानून उद्देश्य

  • साइबर कानून का मुख्य उद्देश्य यह है कि इसके माध्यम से लोग यह सीख जाए की इंटरनेट पर क्या चीज आपको करनी चाहिए और क्या चीज नही। अगर आपने ऐसा नहीं किया तो उसके लिए आपको दंडित भी किया जा सकता है। साइबर कानून साइबर क्राइम को रोकने के लिए एक प्रयास के तौर पर माना जा सकता है।

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  • साइबर कानून लोगो को इंटरनेट के द्वारा हो रहे फ्रॉड से भी बचाने के काम आता है। क्योंकि आपके साथ फ्रॉड तब ही होता है जब आप किसी ऐसी साइट पर जाते है जो आपके मोबाइल या कंप्यूटर को हानि पहुंचा सकती है।
  • साइबर कानून की सहायता से इंटरनेट के द्वारा भी आदान प्रदान किए जाते है उन सब की डिटेल्स सरकार के पास होती है और अगर उसके बीच कोई लेन देन पर किसी भी प्रकार का कोई प्रश्न होता है तो भारत सरकार उसको ट्रैक करती है। जिसकी सहायता से काफी सारे ऐसे लेन देन को सरकार पकड़ पाती है।
  • साइबर कानून को लागू करने के बाद ऑनलाइन गोपनीयता को भी काफी बदावा मिला है।

मेरे साथ ऑनलाइन फ्रॉड हुआ है मैं क्या करूं?

यदि आपके साथ फ्रॉड हुआ है, तो निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:

  1. पहले तो, आपको फ्रॉड हुए ट्रांजैक्शन के विवरण को नोट करना चाहिए। इसमें विवरण शामिल होते हैं, जैसे कि कैसे और कब फ्रॉड हुआ था, फ्रॉड के जरिए कितना धन चला गया है और फ्रॉड की पहचान के लिए कोई विवरण।
  2. फ्रॉड की जानकारी को अपने बैंक, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, पुलिस आदि को सूचित करें।
  3. अपने बैंक खाते को फ्रॉड से बचाने के लिए, आप बैंक ब्रांच में जाकर अपने खाते को बंद करने और एक नए खाते के लिए आवेदन कर सकते हैं।
  4. अगर आपका ऑनलाइन खाता है और फ्रॉड ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के माध्यम से हुआ है, तो आप अपने ऑनलाइन खाते के लिए पासवर्ड और यूजरनेम बदल सकते हैं या अपने खाते को अस्थायी रूप से बंद कर सकते हैं।
  5. अगर फ्रॉड के माध्यम से वित्तीय नुकसान हुआ है, तो आप पुलिस शिकायत दर्ज कर सकते हैं। आप इस शिकायत के साथ फ्रॉड हुए ट्रांजैक्शन के सबूतों का भी एक कॉपी पुलिस को प्रदान कर सकते हैं। इससे पुलिस फ्रॉड की जांच कर सकती है और आपको न्याय दिलाने में मदद मिल सकती है।
  6. यदि फ्रॉड ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से हुआ है, तो आप उस प्लेटफॉर्म के नियमों और नियमक के साथ संपर्क कर सकते हैं और फ्रॉड की रिपोर्ट भी कर सकते हैं।
  7. फ्रॉड की शिकायत करना बहुत महत्वपूर्ण होता है ताकि फ्रॉडर को दंडित किया जा सके और आप वित्तीय नुकसान से बच सकें।
साइबर कानून क्या है?

साल 2008 में भारत के कानून में साल 2000 के आईटी सेक्टर से जुड़े कानून के अन्दर और अधिनियम जोड़ कर साइबर कानून का प्रस्ताव पारित किया गया और उसे कानून का एक हिस्सा माना गया। साइबर कानून के द्वारा सरकार यह नियंत्रित करती है कि कोई भी व्यक्ति इंटरनेट का प्रयोग किसी गलत काम के लिए तो नही कर रहा है। साइबर कानून के माध्यम से लोग यह भी जान सकते है कि भारतीय कानून के अनुसार व्यक्ति को क्या क्या चीज करने की आजादी है और भारतीय कानून का साइबर लॉ उन्हे क्या क्या चीजे करने से रोकता है।

साइबर क्राइम क्या है?

साइबर क्राइम वो क्राइम है जिससे कोई भी व्यक्ति या संघ कंप्यूटर, मोबाइल या अन्य किसी डिवाइस के द्वारा इन्टरनेट या बिना इंटरनेट की सहायता से किसी और व्यक्ति को नुकसान पहुंचाता है। उससे ही साइबर क्राइम कहते है।

साइबर कानून भारत में कब लागू किया गया ?

भारत में साइबर कानून, अर्थात् साइबर क्राइम को नियंत्रित करने के लिए एक अधिनियम, “इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी (एमेंडमेंट) अधिनियम, 2008” को संसद द्वारा मंजूरी दी गई थी। यह अधिनियम 27 अक्टूबर 2009 को लागू हुआ था।
इस अधिनियम के तहत, अनलॉ ऑनलाइन अपराध, उपयोगकर्ता द्वारा जानकारी का अवैध उपयोग, जानकारी की चोरी, और साइबर आतंकवाद जैसे अपराधों के लिए दंड संबंधी व्यवस्था है। इस अधिनियम के अंतर्गत साइबर अपराधों के लिए जुर्माने और सजा के निर्धारण की व्यवस्था भी है।

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