प्रधानमंत्री पोषण योजना क्या है | PM Poshan Scheme In Hindi

हम सभी अच्छी तरह से जानते है, कि देश में चल रहे सभी सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में बच्चों को दोपहर अर्थात मध्याह्न में भोजन दिया जाता है| जिसे हम मिड-डे मील के नाम से जानते है| हाल ही में सरकार नें देश में चलनें वाली इस योजना को अब एक नया रूप दे दिया है अर्थात मिड-डे मील योजना को अब प्रधानमंत्री पोषण योजना के रूप में जाना जाएगा| इस स्कीम के अंतर्गत पांच वर्ष तक के करोड़ों बच्चों को निशुल्क भोजन दिया जायेगा| प्रधानमंत्री पोषण योजना को केंद्रीय कैबिनेट द्वारा मंजूरी दे दी गयी है| प्रधानमंत्री पोषण योजना क्या है, इसके बारें में आपको यहाँ पूरी जानकारी विस्तार से दे रहे है|

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प्रधानमंत्री पोषण योजना क्या है (What is PM Poshan Scheme)

आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि यह कोई नई योजना नही है| देश में पहले से संचालित मिड-डे मील योजना का स्वरुप और नाम बदलकर प्रधानमंत्री पोषण योजना कर दिया गया है| हालाँकि इस योजना का नाम बदलनें के साथ ही और क्या- क्या बदलेगा ? इसकी जानकारी सार्वजानिक नही की गयी है| हालाँकि प्रधानमंत्री जी की अगुवाई में हुई केंद्रीय कैबिनेट की मीटिंग में कई अहम् निर्णय लिए गये है|

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पीएम पोषण योजना के अंतर्गत अगले पांच वर्षो (2021-22 से 2025-26) तक देश के करोड़ों बच्चों को निशुल्क भोजन दिया जायेगा| दरअसल यह स्कीम शिक्षा विभाग से सम्बंधित है तथा इसमें देश के निर्धन परिवारों से आने वाले करोड़ो बच्चों को पोषण योजना का लाभ दिया जाएगा। इस स्कीम के लिए केन्द्र सरकार (Central Government) 54 हजार करोड़ रुपये और राज्य सरकार (State Government) 31 हजार करोड़ रुपये खर्च करेंगे। इसके अलावा खाद्यानों पर होने वाले खर्च का 45 हजार करोड़ केन्द्र सरकार वहन करेगी।

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सप्ताहवार दिए जाने वाले भोजन का मेन्यू व मानक

सोमवारगेहूं की रोटी, दाल-सोयाबीन की बड़ी युक्त एवं ताजा मौसमी सब्जी व फल
मंगलवारचावल व दाल, यथासंभव अरहर व चना अथवा अन्य दाल
बुधवारचावल एवं मौसमी सब्जीयुक्त तहरी तथा प्राथमिक के बच्चों को 150 ML व पूर्व माध्यमिक के बच्चों को 200 ML गरम दूध
गुरुवारगेहूं की रोटी एवं दाल (अरहर-चना व अन्य दाल)
शुक्रवारचावल एवं सब्जी (आलू-सोयाबीन एवं समय पर उपलब्ध मौसमी सब्जियां)
शनिवारचावल व सोयाबीन की सब्जी अथवा ताजी मौसमी मसालायुक्त सब्जी

जहाँ सोयाबीन की बड़ी का उपयोग किया जायेगा, होगा वहां प्राथमिक स्तर अर्थात कक्षा 1 से 5 तक के 100 बच्चों के लिए एक 1 किलो तथा पूर्व माध्यमिक स्तर पर 100 बच्चों के लिए 1.50 किलोग्राम सोयाबीन का प्रयोग किया जाएगा।

पीएम पोषण योजना 5 वर्षों तक चलेगी (PM Poshan scheme will Run for 5 Years)

केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री (Union Minister of Information and Broadcasting) अनुराग ठाकुर नें जानकारी को सार्वजनिक करते हुए कहा, कि केंद्रीय कैबिनेट नें भारत के 11 लाख से अधिक गवर्नमेंट और  सहायता प्राप्त स्कूलों (Aided Schools) के विद्यार्थियों को मध्याह्न में भोजन देने के लिए 1.31 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। यह स्कीम अगले 5 वर्षों तक निरंतर चलती रहेगी| आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि पीएम पोषण योजना राज्य सरकारों की भागीदारी से चलाई जाएगी|

सरकार द्वारा शुरू की गयी इस स्कीम का सीधा लाभ 11 लाख से अधिक विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त करनें वाले 11.80 करोड़ छात्रों को मिलेगा| इसके साथ ही छात्रों को प्रकृति और बागवानी से सम्बंधित जानकारी दी जाएगी| यहाँ तक कि ऐसे अनिमिया के प्रभावित जिलों के बच्चों को पोषक तत्वों से भरपूर  खुराक दी जाएगी।

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योजना का लाभ बाल वाटिका से लेकर आठवीं तक (Benefit of Scheme From Pre School to VIII)

पीएम पोषण योजना के अंतर्गत बाल वाटिका अर्थात प्री स्कूल (Pre School) के बच्चों को भी शामिल किया गया है|  इस केंद्र प्रायोजित स्कीम के दायरे में सरकारी, सरकारी सहायता-प्राप्त स्कूलों की कक्षा 1 से लेकर 8वीं कक्षा में पढ़ने वाले सभी स्कूली बच्चे आयेंगे| यहाँ तक कि विशेष अवसरों और त्योहारों पर बच्चों को विशेष भोजन प्रदान करनें की रणनीति बनायीं गयी हैं|

इस स्कीम के कार्यान्वयन में एफपीओ (FPO) अर्थात किसान उत्पादक संगठनों के अलावा महिला स्वयं-सहायता समूहों (Women self-help groups) की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाएगा| इसके साथ ही स्थानीय आर्थिक विकास (Local Economic Development) को बढ़ावा देने हेतु स्थानीय रूप से उगाए जाने वाले पारंपरिक खाद्य पदार्थों (Traditional Foods) के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा|

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मिड-डे मील योजना की शुरुआत कब हुई थी (Mid-day Meal Scheme)

आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि मध्याह्न भोजन अर्थात मिड-डे मील योजना की शुरुआत वर्ष 1995 में की गई थी| इस योजना को प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों को कम से कम दिन में एक बार पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू की गयी थी| हालाँकि यह स्कीम बच्चों को विद्यालयों में एडमीशन में काफी सहायक सिद्ध हुई, जिसके कारण इस स्कीम का संचालन 1995 से निरंतर किया जा रहा है|  

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