सरकारी नौकरी और प्राइवेट नौकरी में क्या अंतर है – सरकारी नौकरी लगभग सभी युवाओं की पहली पसंद होती है, परन्तु वर्तमान में युवा वर्ग के लिए एक बहुत बड़ा प्रश्न यह है, कि उन्हें सरकारी नौकरी की तरफ ध्यान देना चाहिए या प्राइवेट नौकरी कर लेनी चाहिए | वैसे अधिकांश युवा सरकारी नौकरी की अपेक्षा रखते है, परन्तु सरकारी नौकरी के लिए आजकल प्रतिस्पर्धा इतनी अधिक बढ़ गयी है, कि इसमें बहुत कम लोगो का चयन हो पाता है | युवाओं के लिए बड़ी समस्या यह भी है, कि डिग्री प्राप्त करनें के बाद भी एक अच्छी नौकरी प्राप्त करनें में सक्षम नही होते है| ऐसे में उनका रुझान सरकारी नौकरी की तरफ जाता है |
भारत में बेरोजगारी की समस्या निरंतर बढ़ती जा रही है, जिसके कारण सभी क्षेत्रो में कम्पटीशन स्वतः बढ़ता जा रहा है| पिछले कुछ वर्षो में इंजीनियरिंग करनें वाले छात्रों का स्तर घट गया है| इंजीनियरिंग करने के बावजूद भी युवा प्राइवेट नौकरी से संतुष्ट नहीं होते है, और वह निरंतर सरकारी नौकरी प्राप्त करनें का प्रयास करते रहते है| कुल मिलालर भारतीय युवा अभी भी प्राइवेट नौकरियों के बजाय सरकारी नौकरियों को पसंद करते हैं| सरकारी नौकरी और प्राइवेट नौकरी में क्या अंतर है ? इसके बारें में आपको यहाँ विस्तार से जानकारी दे रहे है |
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सरकारी नौकरी में लोगो का रुझान अधिक
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एक तरफ सरकारी नौकरियां कम होती जा रही हैं, दूसरी तरफ युवा वर्ग में इसका क्रेज बढ़ता जा रहा है। इसका मुख्य कारण है निजी क्षेत्र की नौकरियों से मोहभंग होना है । सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज (सीईएस) द्वारा किये गये एक सर्वे के अनुसार, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में 515 विद्यार्थियों के विचार, जिनमें 72 फीसदी स्नातक और 19 प्रतिशत परास्नातक थे। इसमें से अधिकांश युवाओं ने कहा कि सरकारी नौकरी प्राप्त करना ही उनका लक्ष्य है, जबकि प्राइवेट नौकरियों के बारे में उनकी राय नकारात्मक थी।
उनका कहना था, कि प्राइवेट नौकरी सुरक्षित नहीं होतीं साथ ही उनमें शोषण होता है| इसके साथ ही कार्य भी कई घंटे अधिक करना पड़ता है, जिसके अनुसार वेतन भी कम मिलता है। इनमें से कई छात्र पहले प्राइवेट नौकरी कर चुके थे। उनका कहना था, कि निजी क्षेत्र से दिल टूट जाने के बाद वे सरकारी नौकरी पाने के लिए प्रयासरत हैं।
अभी कुछ समय पहले सरकार के चतुर्थ वर्गीय पदों के लिए एमए, पीएचडी और एमबीए जैसे योग्यता रखने वाले लोगो नें आवेदन किया, इससे यह सिद्ध होता है, कि आज शिक्षित युवा वर्ग की नज़रों में सरकारी नौकरी कितनी अहम है । हालाँकि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आने और निजी सेक्टर को बढ़ावा मिलने से नई नौकरियां उत्पन्न हुईं, परन्तु वह उन्हीं युवाओं को मिलीं जो अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ थे। आज भी यह कंपनियां अपने व्यापारिक मकसद से उन्हीं युवाओं का चयन कर रही हैं, जो किसी विशिष्ट तकनीकी क्षेत्र में निपुण हैं।
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सरकारी नौकरी क्या है (What is Government Job)
सरकारी नौकरी को अंग्रेजी में Government Job कहते है| यह वह नौकरी होती हैं, जिसे सरकार द्वारा बनाये गए नियमों के साथ सरकार द्वारा दिए निर्देशों पर चलाई जा रही आर्गेनाइजेशन में दी जाती है| सरकारी नौकरी में वेतन का भुगतान सरकार द्वारा किया जाता है| यह एक स्थायी नौकरी होती है, जिसके अंतर्गत आपको एक निश्चित आयु से पहले सरकार के अतिरिक्त कोई निष्काषित नहीं कर सकता। सभी सरकारी क्षेत्रों के लिए सरकार द्वारा 60 वर्ष की आयु निर्धारित की गयी है, इस अवधि के बाद ही आपको आपकी नौकरी से रिटायर किया जाता है|
प्राइवेट नौकरी क्या है (What is Private Job)
प्राइवेट नौकरी वह नौकरी होती है, जिसमें कार्य करनें वाले व्यक्ति का भुगतान सरकार द्वारा नहीं किया जाता है| कोई भी व्यक्ति अपनी निजी कंपनी खोल कर उसमें सरकार के हस्तक्षेप किये बिना कर्मचारी को नौकरी देता है, और उसका भुगतान प्राइवेट कंपनी अर्थात उस कम्पनी के फाउंडर द्वारा किया जाता है| ऐसी नौकरी को प्राइवेट नौकरी कहते हैं| प्राइवेट नौकरी को टेम्परोरी नौकरी भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें कम्पनी का फाउंडर आपको कभी भी कम्पनी से निकाल सकता है, या आप भी कभी भी नौकरी छोड़ सकते हैं| प्राइवेट नौकरी में सरकारी नौकरी की अपेक्षा कार्य और समय अधिक होता है, इसके साथ ही इसमें अवकाश भी काफी कम मिलते है|
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सरकारी नौकरी और प्राइवेट नौकरी में अंतर (Government Job and Private Job Difference)
1. नौकरी की स्थिरता (Job Stability)
सरकारी नौकरी में इस बात की सम्भावना बहुत कम है, कि कोई भी सरकारी कर्मचारी कभी भी अपनी नौकरी खो देगा, और अधिकांश मामलों में जब तक वह व्यक्ति सेवानिवृत्त नहीं हो जाता तब तक नौकरी बनी रहेगी| सरकारी कार्यालयों के कर्मचारी अपने पूरे कार्यकाल के दौरान एक निश्चित आय प्राप्त करते हैं, और नौकरी की सुरक्षा भी अंत तक बनी रहती है| इस प्रकार प्राइवेट नौकरियों की तुलना में सरकारी नौकरियां अधिक सुरक्षित हैं|
सरकार द्वारा जब किसी को सरकारी कर्मचारी के रूप में नियुक्त किया जाता है, तो काम की प्रकृति के आधार पर आप 58-65 वर्ष की आयु में रिटायर करते हैं, जबकि निजी नौकरी के मामले में नौकरी की सुरक्षा नहीं है| आप को काम पर रखने वाले लोग व्यवसाय में जब तक लाभ प्राप्त कर रहे हैं, वह उस समय तक ही आपको रखेंगे| हम यह कह सकते है कि जब तक आपसे उन्हें लाभ मिलता रहेगा,तब तक आपकी नौकरी सुरक्षित मानी जा सकती है|
2. काम का बोझ कम (Less Workload)
सभी जानते हैं कि निजी नौकरियों की तुलना में सरकारी नौकरियों में कम से कम काम का बोझ होता है, साथ ही हमें अनेक प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध होती हैं| एक सरकारी कर्मचारी को यह मालूम होता है, कि वह किस दिन कौन सा कार्य करने जा रहा है और कितने समय तक, इसलिए वह उस कार्य को आराम से करता है|
निजी क्षेत्र के कर्मचारियों पर कार्य का बोझ अधिक होता है, उनका कार्य निर्धारित नही होता है| उन्हें कम्पनी के अनुरूप बताये गये कार्य करना पड़ता है| वह अपने कार्य को किसी अन्य दिन के लिए संशोधित नही कर सकते | उन्हें वह कार्य निश्चित तारीख को ही करना होता है, चाहे उसके लिए उन्हें अलग से समय क्यों न देना पड़े|
3. अवकाश निश्चित होते है (Fixed Holidays)
सरकारी क्षेत्र में कार्य करने वाले व्यक्ति को छुट्टियों पर जाने के लिए बहस नहीं करना पड़ता है, क्योंकि आपके पास प्रति वर्ष पूर्व से निर्धारित अवकाश होते है| जिसका आप लाभ लेने के हकदार हैं, इतना ही नहीं इसके साथ ही साथ सभी सरकारी घोषित छुट्टियां भी आपको प्रदान की जाएंगी|
निजी क्षेत्र की कंपनियां अपने कर्मचारियों से दशहरा जैसे त्योहारों पर भी काम लेती हैं, जो स्पष्ट रूप से बहुत परेशान करने वाली होती है| यहाँ तक कि कार्य अधिक होनें के कारण रविवार को भी कार्य करना पड़ता है| जिसके लिए कर्मचारी मना नहीं कर सकता| प्राइवेट क्षत्र में अवकाश निर्धारित नही होते है, यदि आपको अवकाश की आवश्यकता होती है, तो उसके लिए आपको कम्पनी को पहले से सूचित कर अनुमति लेना अनिवार्य होता है|
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4. पेंशन और अन्य लाभ (Pension and Other Benefits)
सरकारी कर्मचारियों को हमारे देश की सरकार से काफी आकर्षक और साथ ही जीवन भर लाभ प्राप्त करने के लिए जाना जाता है| सरकारी कर्मियों को जीवनभर स्वास्थ्य देखभाल, पेंशन, आवास सुविधाओं के साथ साथ भविष्य निधि भी प्रदान की जाती हैं| सरकारी नौकरी में कार्यरत व्यक्ति की सैलरी में सरकार की तरफ से बढोत्तरी होती रहती है|
निजी क्षेत्र के कर्मचारी का वेतन निश्चित होता है, और उसकी वृद्धि की कोई संभावना नही होती है| यहाँ सिर्फ एक ही शर्त पर सैलरी बढती है, जब कम्पनी की लगता है कि यह कर्मचारी अपना कार्य पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ कर रहा है| अथवा आप काफी लम्बी अवधि से कार्य कर रहे है, और कम्पनी आपके कार्य से संतुष्ट है|
5. पदोन्नति का लाभ (Promotion Benefits)
सरकारी नौकरी में कर्मचारी की एक निर्धारित समय के उपरांत पदोन्नति का लाभ मिलता है, इसके साथ ही उनके वेतन में वृद्धि होती है| प्राइवेट सेक्टर में पदोन्नति का अवसर कुछ लोगो को प्राप्त होता है| इस क्षेत्र में यदि कर्मचारी 18 वर्ष की आयु में जिस पद पर कार्यरत है, संभव है कि 58 वर्ष की आयु में भी वह उसी पद पर बना रहे| इससे आप यह अनुमान लगा सकते है, कि इस क्षेत्र में पदोन्नति के चांस लगभग न के बराबर होते है|
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प्राइवेट नौकरिया – सरकारी से बेहतर
कुछ लोगो का मानना है, कि प्राइवेट नौकरिया सरकारी से बेहतर होती है, आईये जानते है कैसे-
1. नौकरी का स्थान निर्धारित नहीं होता (Job Location Not Determined)
सरकारी नौकरी में आपके पास अपनी मनपसंद स्थान पर नियुक्ति प्राप्त करना का अधिकार नहीं होता, जिस स्थान पर आपको नियुक्ति दे दी जाती है, उसी स्थान पर रहकर अपना कार्य करना होता है| इसके साथ ही सरकारी नौकरी की चयन प्रक्रिया भी काफी कठिन होती है, जिसमें आवेदन तो लाखों लोग करते है, परन्तु नौकरी कुछ हो लोगो को प्राप्त होती है| इस प्रकार वह व्यक्ति जो लगातार कंपटीशन की तैयारी करते रहते हैं, कई वर्षो तक अपना समय तैयारी करनें में ही निकाल देते है। यदि व्यक्ति अपने इसी समय में प्राइवेट नौकरी करता, तो वह अनुभव और पैसे दोनों ही कमा लेता |
जबकि प्राइवेट सेक्टर जॉब में ऐसा नहीं होता है। आपको अपने अनुसार नियुक्ति स्थान चुनने का अवसर प्राप्त होता है और इनकी नियुक्ति प्रक्रियाएं सक्रकरी नौकरी की अपेक्षा तेज होती हैं। सरकारी विभागों की तरह इनकी एक नियुक्ति 1-2 साल का समय नहीं लगता ।
2. कार्य करनें का वातावरण (Working Environment)
किसी भी सरकारी ऑफिस में आपने यह अवश्य देखा होगा, कि वहां के कर्मचारी कार्य करनें के प्रति उत्साहित नही होते, बल्कि वक उस कार्य को बहुत ही सुस्ती से करते है, अर्थात उनके कार्य करने का ढंग बेहद ढीला होता है। एक प्रकार से हम यह कह सकते हैं कि सरकारी विभागों में लेजी वर्क देखा जाता है।
जबकि प्राइवेट ऑफिस में ऐसा नहीं होता वहां एक अच्छा वर्क एनवायरनमेंट देखने को मिलता है । सभी व्यक्ति चाहे जूनियर हो या सीनियर एक टीम की तरह अपने अपने कार्य में लगे रहते हैं। उनमें आलस्य बिल्कुल भी नहीं होता और सभी अपने कार्य के प्रति सजग रहते हैं।
3. आयु सीमा अर्थात ऐज लिमिट (Age Limit)
सरकारी नौकरी में आवेदन करनें की लिमिट निर्धारित होती है, और सरकारी नौकरी में व्यक्ति एक निश्चित आयु के बाद अपनी नौकरी से रिटायरमेंट प्राप्त करता है । रिटायरमेंट की आयु अधिकतर सरकारी नौकरी में 60 वर्ष निर्धारित है। 60 वर्ष के उपरांत वह व्यक्ति अपने पद पर कार्य नहीं कर सकता।
जबकि निजी क्षेत्र में ऐसा नहीं है, निजी क्षेत्र में कार्य करनें हेतु आयु लिमिट निर्धारित नही होती है| यदि व्यक्ति ने 60 वर्ष की उम्र पूरी कर ली है, और वह व्यक्ति और कार्य कर सकता है अर्थात उस व्यक्ति के अंदर क्षमता है, तो वह अपनी इच्छानुसार आगे भी कार्य कर सकता है।
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4. विकास एवं प्रगति (Development and Progress)
विकास और प्रगति को देखते हुए सरकारी विभाग काफी पीछे नजर आते हैं। उनमें विकास की दर बहुत धीमी होती है, यही कारण है कि सरकारी जॉब में व्यक्तियों को कम वेतन दी जाती है| जबकि प्राइवेट ऑफिस में विकास की दर बहुत तेज होती है। इसके साथ ही व्यक्ति अपने कार्य के द्वारा भी अपना और कंपनी का विकास कर सकता है।
प्रगति के क्षेत्र में देखा जाये तो अब ऐसे कोई सेक्टर नहीं बचा हुआ है, जहा प्राइवेट कंपनियों ने कदम ना रखा हो | यही नहीं सरकारी कंपनी अब अपने टेंडर प्राइवेट कंपनी को दे रही है| जिसके कई उदाहरण है जैसे- दिल्ली मेट्रो, लखनऊ मेट्रो |
5. रिक्तियां या वेकैंसी (Vacancy)
सरकारी विभागों की अपेक्षा प्राइवेट कंपनियों में जॉब वैकेंसी अधिक होती हैं। केंद्र सरकार, राज्य सरकार और कई पब्लिक सेक्टर बैंक समय-समय पर वैकेंसी की घोषणा करती रहती हैं, और रिक्तियों को भरने के लिए परीक्षा का आयोजन करते हैं। जहा एक ही पद के लिए लाखो आवेदन आते हैं, जिससे प्रतियोगिता कठिन हो जाती है|
प्राइवेट कंपनियों में वैकेंसी जल्दी-जल्दी निकलती हैं, और इनमें चयनित होने के लिए कोई लंबी प्रक्रिया नहीं होती है, और ना ही कई वर्षो तक इंतजार करना पड़ता है। निरंतर नई कंपनियों के खुलने से युवाओं को जॉब ऑपर्चुनिटी मिलती है।
6. लाभ व सुविधाएं (Job Benefits)
सरकारी नौकरी करनें वाले कर्मचारी को रिटायरमेंट लाभ, पेंशन प्लान और फंड जैसी सुविधाएं प्राप्त होती हैं। इसके अतिरिक्त मेडिकल, हाउसिंग, लोन के लिए भी आर्थिक मदद प्रदान करते हैं।
इसी प्रकार कुछ बड़ी प्राइवेट कंपनियां भी इसी प्रकार से लाभ प्रदान करती है, क्योंकि प्राइवेट कंपनियां अपने वर्कर्स को अधिक वेतन प्रदान करती है, तो वर्कर्स को इसका कुछ हिस्सा अपने पेंशन और रिटायरमेंट के लिए उपयोग करना चाहिए। यहां पर फर्क सिर्फ इतना ही है, कि व्यक्ति को अपने पेंशन और फंड के विषय में स्वयं ही निर्णय लेना होता है।