अरविंद केजरीवाल वर्तमान में एक ऐसे राजनीतिज्ञ है, जिनका नाम आज लगभग सभी की जुबान पर है, और वह अक्सर किसी न किसी विवाद में उलझे रहते हैं। अरविंद केजरीवाल बचपन से ही सामाजिक कार्यो में बढ़-चढ़कर भाग लेते थे, उन्होंने कभी नहीं सोचा था, कि वह भारत की राजधानी दिल्ली के मुख्यमंत्री बन जाएंगे। देश सेवा की भावना ने आज उन्हें इस मुकाम पर पहुंचा दिया। अरविंद केजरीवाल एक समाजसेवी और दिल्ली के वर्तमान मुख्यमंत्री है, साथ- साथ आम आदमी पार्टी के संयोजक है। हालाँकि राजनीति में आने से पहले एक सामाजिक कार्यकर्ता रहे, जिन्होंने सरकारी कार्यों में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए बहुत ही कठिन संघर्ष किया। उन्होंने भारत की जनता के लिए बिना एक राजनीति पद के अनेको कार्य किए। इस प्रकार उनके द्वारा किये गये कड़े संघर्षों के लिए उन्हें वर्ष 2006 में मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया। अरविन्द केजरीवाल का जीवन परिचय, शिक्षा, राजनीतिक जीवन और पुरस्कार से सम्बंधित जानकारी आपको विस्तार से दे रहे है।
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विषयसूची
अरविंद केजरीवाल का जीवन परिचय (Arvind Kejariwal Biography)
नाम | अरविंद केजरीवाल |
जन्मदिन | 16 अगस्त 1968 |
उम्र (Age) | 51 |
जन्म स्थान | सिवानी, हरियाणा |
गृहनगर | हरियाणा |
नागरिकता | भारतीय |
धर्म | हिन्दू |
जाति (Caste) | वैश्य (बनिया) |
भाषा ज्ञान | हिंदी, अंग्रेजी |
पेशा | मुख्य मंत्री |
माता का नाम | गीता देवी |
पिता का नाम | गोबिंद राम केजरीवाल |
भाई का नाम | मनोज केजरीवाल |
बहन का नाम | रंजना |
पत्नी का नाम | सुनीता केजरीवाल |
बेटे का नाम | पुलकित केजरीवाल |
बेटी का नाम | हर्षिता केजरीवाल |
अरविंद केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त 1968 में हरियाणा राज्य के भिवानी जिले के सिवनी गांव में जन्माष्टमी के दिन हुआ। इनका जन्म जन्माष्टमी के दिन होने के कारण उन्हें घर में कान्हा नाम से पुकारा जाता था। अरविंद केजरीवाल के एक भाई और एक बहन है, और वह अपनें भाई बहनों में सबसे बड़े है। इनके पिता गोविंद राम केजरीवाल बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा में एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे। उनके पिता के व्यवसाय से संबधित स्थानांतरणों के कारण केजरीवाल कई अलग-अलग स्थानों पर रहे। इसके परिणामस्वरूप इनका बचपन गाजियाबाद, हिसार और सोनीपत में बीता।
अरविंद केजरीवाल ने वर्ष 1989 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। डिग्री प्राप्त करने के बाद उन्होंने अपनी पहली जॉब 1989 में टाटा स्टील कंपनी ज्वाइन की और वह जमशेदपुर चले गए। वह अपने उस काम से ऊब गये थे इसलिए उन्होंने सन् 1992 में वह नौकरी छोड़ दी। उन्होंने कोलकाता में रामकृष्ण मिशन और नेहरू युवा केंद्र में भी कुछ समय व्यतीत किया। वर्ष 1995 में इनका विवाह सुनीता केजरीवाल से हुआ, जो नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन, मसूरी में उनकी बैच मेट थीं। वह एक आईआरएस अधिकारी हैं। उनकी दो संतानें हैं, एक पुत्र पुलकित और एक पुत्री हर्षिता। अरविंद केजरीवाल शुद्ध शाकाहारी हैं और विपश्यना के नियमित साधक हैं।
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राजनीतिक करियर की शुरुआत (Political Carrer of Arvind Kejriwal)
अरविंद केजरीवाल जी ने आयकर विभाग से नौकरी छोड़ने के बाद “परिवर्तन” नाम की एक संस्था की स्थापना की। इस संस्था के माध्यम वह कई आम लोगों की बिजली विभाग और आयकर विभाग से जुड़ी सहायता निशुल्क में किया करते थे। उनका कहना था कि यदि कोई भी सरकारी व्यक्ति आपसे रिश्वत मांगता है, तो आप सीधे हमारे पास आइए हम आपकी मदद करेंगे और मुफ्त में आपका काम करवाएंगे। उन्होंने एक वर्ष में लगभग 800 लोगों की सहायता की।
इसके बाद वह पूरी तरह से परिवर्तनशील संस्था में शामिल हो गए। देश में बढ़ते भ्रष्टाचार को देखने के बाद अरविंद केजरीवाल ने आरटीआई के मुद्दे को जनता के बीच में लाकर खड़ा कर दिया। जिसके तहत देश की जनता को यह अधिकार था, कि वह देश में हो रहे किसी भी कार्य को लेकर सरकार से सवाल जवाब कर सकती है।
सामाजिक कार्य को करने के लिए उनके दिल में एक अलग धुन सवार हो चुकी थी, जिसके चलते उन्होंने जनलोकपाल बिल पास कराने के लिए अन्ना हजारे के नेतृत्व में उनका साथ दिया। उस दौरान शांति भूषण, प्रशांत भूषण, संतोष हेगड़े, किरण बेदी जैसे दिग्गज लोगों के साथ इस आंदोलन को पूरे देश में फैला दिया। इस दौरान उन्होंने राजनैतिक चोला पहनने की ठान ली इस बात का पता उन्हें भी नहीं लगा।
इसी दौरान महात्मा गांधी जी के जन्मदिन की तिथि के उपलक्ष्य में उन्होंने 2 अक्टूबर 2012 को उन्होंने अपनी एक राजनीतिक पार्टी बनाई जिसका नाम आम आदमी पार्टी रखा । दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनोज सिसोदिया और राज्यसभा सांसद संजय सिंह जी उनके साथ डटे रहे। वर्ष 2013 में उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
49 दिनों के कार्यकाल के बाद उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, परंतु उन्होंने हार नहीं मानी और ठीक 1 वर्ष बाद राजनीति में अपने भारी प्रभाव के साथ उन्होंने वापसी की। दिल्ली के चुनावों में उन्होंने 70 में से 67 सीटें जीतकर 14 फरवरी 2015 को फिर से दिल्ली में मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। वर्ष 2020 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की है। 70 सदस्यीय विधानसभा में अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली पार्टी आप को 62 सीटों पर जीत मिली है।
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अरविन्द केजरीवाल की उपलब्धियाँ (Achievements of Arvind Kejriwal)
- वर्ष 2004 में उन्हें सामाजिक सहभागिता के लिए अशोक फेलो अवार्ड से सम्मानित किया गया।
- वर्ष 2005 में आईआईटी कानपुर, सरकार पारदर्शिता में लाने के लिए उनके अभियान हेतु उन्हें सत्येंद्र दुबे मेमोरियल पुरस्कार सम्मानित किया गया।
- वर्ष 2006 में उन्होंने उत्कृष्ट नेतृत्व के रूप में स्वयं को उभारा जिसके लिए उन्हें रमन मैग्सेसे अवार्ड सम्मानित किया गया। इसी वर्ष उन्हें एक और अवार्ड लोकसभा चुनाव में सीएनएन आईबीएन इंडियन ऑफ द ईयर दिया गया।
- वर्ष 2009 में आईआईटी खड़गपुर में उन्हें विशिष्ट छात्र नेतृत्व के रूप में अवार्ड दिया गया।
- अपने सामाजिक कार्यों को लेकर साल 2013 अरविंद केजरीवाल “फॉरेन पॉलिसी द्वारा” 100 वैश्विक चिंतन लोगों में शामिल हुए।
- वर्ष 2014 में उन्हें विश्व की प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन द्वारा विश्व के प्रभावशाली व्यक्तियों की सूची में शामिल किया गया।
अरविन्द केजरीवाल पर लिखी गयी पुस्तके
ए मैन विद ए मिशन – अरविंद केजरीवाल
लिटिल विद्वान संपादकीय द्वारा ‘ए मैन विद ए मिशन – अरविंद केजरीवाल’ में अरविंद केजरीवाल की एक छात्र से दिल्ली के मुख्यमंत्री तक की यात्रा शामिल है। किताब अरविंद केजरीवाल के उन परिस्थितियों और अनुभवों को प्रदर्शित करती है जो उन्हें भ्रष्टाचार विरोधी क्रांतीकारी में बदल देते हैं।
द डिसरप्टर: अरविंद केजरीवाल एन्ड द ऑडिसीयस राइस ऑफ आम आदमी
गौतम चिकरमेन, सोम बैनर्जी द्वारा रचित पुस्तक में बताया गया है, कि कैसे भारतीय राजनीति में बाहरी व्यक्ति ने आम आदमी को वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था पर सवाल उठाने के लिए प्रोत्साहित किया। यह किताब एक आम आदमी पार्टी के बहुत तेजी से उभरकर सिर्फ 13 महीने दिल्ली चलाने के बारे में बताती है।
इस पुस्तक केजरीवाल के शासन पर उठाए गए सवाल करने की हिम्मत के बारे में दर्शाती है और जिस तरह से उन्होंने परिवर्तन की मांग के लिए जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से लोगों को एक साथ चलाया।
अरविंद केजरीवाल द्वारा लिखी पुस्तक
स्वराज्य
अरविंद केजरीवाल द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘स्वराज’ भारत में वर्तमान लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल उठाती है, साथ ही यह सुझाव देती है, कि लोग सही स्वराज (आत्म-शासन) कैसे प्राप्त कर सकते हैं? पुस्तक शासन का एक मॉडल प्रस्तावित करती है, जो स्वराज या “गृह-नियम” की गांधी की अवधारणा पर आधारित है। केजरीवाल कहते हैं कि नई दिल्ली में सत्ता को कुछ हाथों में केंद्रित नहीं किया जाना चाहिए, सत्ता ‘ग्राम सभा’ और ‘मोहल्ला सभा’ के हाथों में होनी चाहिए ताकि लोगों को अपने जीवन को प्रभावित करने वाले फैसले लेने का अधिकार हो।
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