बैंक अर्थव्यवस्था को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते है, इसलिए बैंकों के लिए नियम और कानून को किसी ऐसी संस्था के द्वारा नियंत्रित किया जाना आवश्यक है, जिससे जनता को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो सके तथा देश की अर्थव्यवस्था भी सुचारु ढंग से चलती रहे | प्रत्येक देश में बैंकों पर नियंत्रण केंद्रीय बैंक के द्वारा किया जाता है | भारत में रिजर्व बैंक ऑफ़ इण्डिया के द्वारा सभी बैंकों पर नियंत्रण रखा जाता है | भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, सीआरआर, एसएलआर शब्दों का प्रयोग किया जाता है | यदि आपको इसके विषय में जानकारी नहीं है, तो इस पेज पर रेपो रेट क्या है, रिवर्स रेपो रेट, सीआरआर, एसएलआर के विषय में जानकारी प्रदान की जा रही है|
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रेपो रेट क्या है (What is Repo Rate)
विषयसूची
भारत के सभी बैंक आरबीआई से कर्ज लेते है | इसके बाद यह सभी बैंक अपने ग्राहकों को कर्ज देते है | आरबीआई जिस दर से सभी बैंकों को कर्ज देता है, उस दर को रेपो रेट कहा जाता है | जब बैंक को कम रेपो रेट पर कर्ज मिलता है, तो वह अपने ग्राहकों को होम लोन, कार लोन और अन्य प्रकार के ऋणों को सस्ती दर पर उपलब्ध कराते है | यदि आरबीआई के द्वारा रेपो रेट में वृद्धि की जाती है, तो जनता द्वारा लिये जाने वाले सभी कर्ज पर ब्याज भी अधिक हो जाता है |
रिवर्स रेपो रेट (What is Reverse Repo Rate)
रिवर्स रेपो रेट, रेपो रेट के ठीक विपरीत होता है | बैंकों में धन अधिक होने पर वह अपने अधिक धन को आरबीआई के पास जमा कर देते है | आरबीआई इस धन पर बैंकों को ब्याज प्रदान करता है | इस ब्याज की दर को रिवर्स रेपो रेट कहा जाता है | रिवर्स रेपो रेट का उपयोग आरबीआई के द्वारा बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है |
नकदी की तरलता को इस प्रकार से समझा जा सकता है, जब व्यक्तियों के पास अधिक धन होगा तो वह अधिक से अधिक धन खर्च करेंगे | लोग वस्तुएं कम होने पर उसे पहले प्राप्त करने के लिए अधिक से अधिक धन को खर्च करके प्राप्त करना चाहेंगे | इससे बाजार में अचानक से महंगाई बढ़ जाएगी |
महंगाई को नियंत्रित करने के लिए वह रिवर्स रेपो रेट की दर को बढ़ा देता है | इससे बैंक अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए अपना अधिक से अधिक धन आरबीआई के पास जमा कर देते है | इससे बाजार में पूंजी की कमी हो जाती है | पूंजी की कमी होने पर सस्ती वस्तुओं को महंगे दाम पर नहीं ख़रीदा जा सकता है, इससे महंगाई नियंत्रित रहती है |
सीआरआर (What is Bank CRR)
भारतीय रिजर्व बैंक के नियम के अनुसार प्रत्येक बैंक को अपनी कुल नकदी का एक निश्चित भाग आरबीआई के पास जमा रखना होता है | इस निश्चित धन राशि के अनुपात को ही सीआरआर कहते है | इसका उपयोग आरबीआई के द्वारा उस समय किया जाता है जब वह ब्याज की दरों में परिवर्तन न करते हुए बाजार में नकदी की तरलता को नियंत्रित करना चाहता हो |
इसको इस प्रकार से समझने का प्रयास करते है, जब बाजार में नगदी अधिक है, उसको कम कम करने के लिए आरबीआई के द्वारा सीआरआर को बढ़ा दिया जाता है | इससे सभी बैंकों को अधिक धन आरबीआई के पास जमा करना पड़ता है | बैंक के पास नगदी कम होने पर वह अपने ग्राहकों को अधिक कर्ज नहीं दे पाएंगे | इससे बाजार में नगदी पर नियंत्रण स्थापित किया जा सकता है |
सीआरआर के लिए दूसरा कारण यह है कि कोई भी बैंक डिफाल्टर न हो पाए जिससे जनता का पैसा व्यर्थ न हो | सीआरआर के द्वारा जनता के पैसे की भरपाई करने का प्रयास किया जाता है |
एसएलआर (What is Bank SLR)
भारतीय बैंक के निर्देशानुसार सभी बैंकों को अपनी नगदी का एक निश्चित भाग सरकारी बांडों में निवेश करना पड़ता है | इससे बैंकों के कर्ज देने पर नियंत्रण स्थापित किया जाता है | इसको इस प्रकार से समझा जा सकता है कि एसएलआर वह नगदी होती है, जिसको बैंक अपने ग्राहकों को कर्ज देने से पहले सरकारी बांड या सोना खरीदने में निवेश करना होता है | जब आरबीआई के द्वारा एसएलआर में कटौती की जाती है, उस समय बैंक सरकारी बांड या सोने को बेच सकते है, इस प्रकार से प्राप्त नगदी का बैंक कर्ज देते है |
यहां पर आपको रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट क्या है, सीआरआर, एसएलआर- जानिए हिंदी में, के विषय में जानकारी दी गयी है, इससे सम्बंधित यदि आप किसी अन्य जानकारी को प्राप्त करना चाहते है या अपना सुझाव देना चाहते तो कमेंट बॉक्स के माध्यम से आप दे सकते है, आपके द्वारा पूछे गए प्रश्नों और दिए गए सुझावों पर तत्काल उत्तर देने का प्रयास किया जायेगा |
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