बच्चों के टीकाकरण एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सुरक्षा कदम है, जो उन्हें विभिन्न संक्रामक रोगों से बचाने में मदद करता है। टीकाकरण का मतलब है बच्चों को एक या एक से अधिक खतरनाक रोगों से बचाने के लिए एक या एक से अधिक टीके देना। यह वैक्सीन से संबंधित होता है, जो बच्चों को शरीर को रोग के खिलाफ सुरक्षित करने की क्षमता प्रदान करता है।
टीकाकरण क्या है?
विषयसूची
बच्चो के शरीर मे रोग प्रतिरक्षण हेतु टीके लगाए जाते हैं जिससे बच्चो के शरीर की रोग से लडने की शक्ति बढती है। टीकाकरण से बच्चों मे कई सक्रांमक बीमारियों की रोकथाम होती है तथा समुदाय के स्वास्थ्य के स्तर मे सुधार होता है।
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टीकाकरण के लाभ:
- रोग प्रतिरक्षा (Immunity): टीकाकरण से शिशु या बच्चा रोग प्रतिरक्षा प्राप्त करता है, जिससे उसे रोग के खिलाफ सुरक्षिती मिलती है।
- समाज में रोग की फैलावट को कम करना: टीकाकरण से बच्चे किसी भी रोग की चरम रूप से फैलावट को कम करते हैं, जिससे समाज में रोग का प्रसार कम होता है।
- समय रहित रोग निदान: टीकाकरण से रोग की संभावना को कम करने में मदद होती है, जिससे बच्चे को समय पर इलाज मिल सकता है और उसे दर्द और संघर्ष से बचाया जा सकता है।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार: टीकाकरण के माध्यम से समाज में सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, क्योंकि बच्चों को संक्रामक रोगों से होने वाले आघात को कम करता है।
टीकाकरण की सुरक्षा:
- चिकित्सकीय सलाह: टीकाकरण का निर्धारित अनुसूची के अनुसार चिकित्सकीय सलाह लें।
- बार-बार जाँच: बच्चों को टीकाकरण की अवस्था की जाँच के लिए नियमित रूप से चिकित्सक की सलाह लें।
- पूर्ण अनुभवी स्वास्थ्य कर्मचारी: टीकाकरण का कार्य एक पूर्ण और अनुभवी स्वास्थ्य कर्मचारी द्वारा किया जाना चाहिए।
- अनुवाद और सुरक्षा: टीकाकरण की जानकारी को स्थानीय भाषा में समझाएं और सुनिश्चित करें कि टीकाकरण सुरक्षित है और उसमें कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
टीकाकरण एक सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा कदम है, जो समाज को संक्रामक रोगों से बचाने में मदद करता है। बच्चों को सही समय पर सही टीके देना समर्थनयोग्य और सुरक्षित तरीके से किया जाना चाहिए।
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टीकाकरण से बच्चों को कौन कौन से घातक रोगो से सुरक्षा प्रदान करता है?
भारत मे ऐसे 7 गम्भीर संक्रामक रोग हैं जो प्रति-दिन हजारों बच्चो की जान ले लेते हैं या उन्हे अंपग बना देते हैं ये रोग हैं
- खसरा
- टेटनस (धनुष बाय)
- पोलियो
- क्षय रोग
- गलघोंटू
- काली खांसी
- हेपेटाईटिस “B”
बच्चो को किस उम्र में कौन सा टीका लगवाना अति आवश्यक है ?
बच्चों को सही उम्र में और सही समय पर विभिन्न टीकाएं लगवाना महत्वपूर्ण है ताकि उन्हें संक्रामक रोगों से सुरक्षा मिल सके। टीकाकरण का कार्यक्रम विभिन्न देशों और क्षेत्रों में अलग हो सकता है, लेकिन यहां कुछ सामान्य दिशानिर्देश दिए गए हैं:
- हेपेटाइटिस बी टीका (Hepatitis B Vaccine): नवजात शिशु को पैदा होते ही हेपेटाइटिस बी टीका दिया जाता है और इसके बाद कुछ अन्य खास अंतरालों में भी टीके दिए जाते हैं।
- बीसीजी (BCG) टीका: बीसीजी टीका नवजात शिशु को अकेले महीने की आयु में लगवाया जाता है। यह टीका टीबी (तपेदिक) के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है।
- डीप्थीरिया, पर्टसिस, और टेटेनस (DPT) टीका: यह टीका शिशु को 6, 10, और 14 हफ्तों की आयु में दिया जाता है और इससे डीप्थीरिया, पर्टसिस, और टेटेनस जैसे रोगों से बचाव होता है।
- पोलियो टीका: पोलियो टीका को शिशु को 6, 10, और 14 हफ्तों की आयु में दिया जाता है और इससे पोलियो रोग से बचाव होता है।
- हायबी (Hib) टीका: इस टीके को शिशु को 6, 10, और 14 हफ्तों की आयु में लगवाया जाता है और इससे हायबी बैक्टीरिया के कुछ प्रकारों के संक्रमण से बचाव होता है।
- टीका परियोजना (Vaccination Schedule): आपके देश और क्षेत्र के टीकाकरण की योजना को ध्यानपूर्वक अनुसरण करें। यहां बच्चों के लिए सामान्य टीकाकरण कार्यक्रम के लिए विशेषज्ञ तथा स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारी से परामर्श प्राप्त करें।
टीकाकरण के माध्यम से बच्चों को समृद्धि और सुरक्षा मिलती है तथा यह उन्हें अनेक संक्रामक रोगों से बचाने में मदद करता है।
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भारत में बीमारियों की स्थिति देखते हुए भारत सरकार ने निम्न राष्ट्रीय टीकाकरण सूची तैयार की है जिसके अनुसार समय समय पर टीके लगवाने चाहिएः
राष्ट्रीय टीकाकरण सूची | |
गर्भवती महिला एंव गर्भ मे पल रहे बच्चे को टिटेनस की बीमारी से बचाने के लिये | |
गर्भावस्था मे जितनी जल्दी हो सके | टिटेनसटाक्साइड प्रथम / बूस्टर टीका द्वितीय टीका एक माह के अन्तराल से नोटः- यदि पिछले तीन वर्ष मे दो टीके लगे हो तो केवल एक ही टीका पर्याप्त है |
शिशुओ के लिए | |
11/2 माह की आयु पर | बी.सी.जी. का टीका हेपेटाईटिस B का प्रथम टीका डी.पी.टी.का प्रथम टीका पोलियो की प्रथम खुराक |
21/2 माह की आयु पर | डी.पी.टी. का द्वितीय टीका हेपेटाईटिस B का द्वितीय टीका पोलियो की द्वितीय खुराक |
31/2 माह की आयु पर | डी.पी.टी. का तृतीय टीका हेपेटाईटिस B का तृतीय टीका पोलियो की तृतीय खुराक |
9-12 माह की आयु पर | खसरा का टीका |
16-24 माह की आयु पर | डी.पी.टी.का बूस्टर टीका जिला अजमेर, नागौर, भीलवाडा, राजसंमद, टोंक में खसरे की दूसरी खुराक शुरू कर दी गई है। पोलियो की बूस्टर टीका |
5-6 वर्ष की आयु पर | डी. पी. टी. का टीका |
10-16 वर्ष की आयु पर | टी.टी. का टीका |
याद रखेः
- बच्चो मे बी.सी.जी. का टीका, डी.पी.टी. के टीके की तीन खुराके, पोलियो की तीन खुराके व खसरे का टीका उनकी पहली वर्षगांठ से पहले अवश्य लगवा लेना चाहिए।
- यदि भूल वश कोई टीका छुट गया है तो याद आते ही स्वास्थ्य कार्यकर्ता / चिकित्सक से सम्पर्क कर टीका लगवाये ये सभी टीके उप स्वास्थ्य केन्द्र /प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र / राजकीय चिकित्सालयों पर निःशुल्क उपलब्ध हैं।
- टीके तभी पूरी तरह से असरदार होते हैं जब सभी टीकों का पूरा कोर्स सही सही उम्र पर दिया जावें।
- मामूली खांसी, सर्दी, दस्त और बुखार की अवस्था मे भी यह सभी टीके लगवाना सुरक्षित है।
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क्या खसरा, टेटनस (धनुष बाय),पोलियो, क्षय रोग,गलघोंटू, काली खांसी, हेपेटाईटिस “B” के टिके के अलावा भी कुछ टीके है जो बच्चो को लगवाने चाहिए ?
हां, बच्चों को खसरा, टेटनस (धनुष बाय), पोलियो, क्षय रोग, गलघोंटू, काली खांसी, और हेपेटाइटिस “B” के अलावा भी कई अन्य टीके हो सकते हैं जो उन्हें विभिन्न संक्रामक रोगों से बचाने में मदद कर सकते हैं। यह टीकाएं बच्चों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं।
यहां कुछ अन्य महत्वपूर्ण टीकाएं हैं जो बच्चों को लगवाई जा सकती हैं:
- मीसल्स, मम्प्स, रुबेला (MMR) टीका: इस टीके को बच्चों को 1 वर्ष की आयु में दिया जाता है और इससे मीसल्स, मम्प्स, और रुबेला जैसे रोगों से बचाव होता है।
- प्नेयुमोकोकल टीका: इस टीके को बच्चों को कई चरणों में 2, 4, और 6 महीने की आयु में दिया जाता है और इससे प्नेयुमोकोकल इन्फेक्शन से बचाव होता है।
- हाइजा (Haemophilus influenzae type b – Hib) टीका: इस टीके को बच्चों को 6, 10, और 14 हफ्तों की आयु में दिया जाता है और इससे हाइजा इन्फेक्शन से बचाव होता है।
- टाइफाइड टीका: इस टीके को बच्चों को 2 वर्ष की आयु में दिया जाता है और इससे टाइफाइड बुखार से बचाव होता है।
- मेनिंजोकोकल कॉन्जगेट टीका (MCV4): यह टीका बच्चों को बाल्टी वर्ष के आसपास दिया जा सकता है और इससे मेनिंजोकोकल इन्फेक्शन से बचाव होता है।
आपके निर्दिष्ट क्षेत्र और देश के टीकाकरण योजना के आधार पर, स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों या चिकित्सकों से परामर्श करना सही होगा। ये टीकाएं बच्चों को अधिक संक्रामक रोगों से सुरक्षित रखने में मदद कर सकती हैं।
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