पंचायत चुनाव में आरक्षण प्रणाली – किसको मिलती है प्रधान की कुर्सी?

गाँव के लोग कहते हैं –
“चुनाव तो जनता जीतवाती है, पर सीट किसको मिलेगी ये आरक्षण तय करता है।”


आरक्षण क्यों ज़रूरी है?

भारत में पंचायत चुनाव का मकसद है –

  • हर वर्ग को बराबरी से मौका मिले।
  • महिलाएँ राजनीति में आगे आएँ।
  • पिछड़े वर्ग और दलित समाज की भागीदारी बढ़े।

👉 अगर आरक्षण न हो तो ज़्यादातर सीटें ताक़तवर और अमीर वर्ग ही जीत ले।


आरक्षण की किस्में

पंचायत चुनाव में आमतौर पर तीन तरह का आरक्षण होता है –

  1. महिला आरक्षण – कुल सीटों में से 33% या उससे ज्यादा महिलाओं के लिए।
  2. SC/ST आरक्षण – अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए आरक्षित सीटें।
  3. OBC आरक्षण – अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए।

बाकी सीटें सामान्य (General/Open) रहती हैं।

👉 (Example: अगर गाँव की सीट OBC महिला के लिए आरक्षित है तो सिर्फ़ OBC महिला ही चुनाव लड़ सकती है।)


रोटेशन सिस्टम – हर बार नई बारी

आरक्षण हमेशा एक ही सीट पर फिक्स नहीं होता।

  • हर चुनाव में सीटें रोटेशन से बदल दी जाती हैं।
  • मतलब इस बार गाँव की सीट SC के लिए आरक्षित है तो अगली बार OBC या महिला के लिए हो सकती है।
  • इससे सबको बारी-बारी मौका मिलता है।

👉 यही वजह है कि गाँव में चुनाव से पहले सबसे ज्यादा चर्चा होती है – “भइया, इस बार सीट किस जाति के लिए आरक्षित है?”


महिलाओं की भागीदारी

आरक्षण ने सबसे ज्यादा बदलाव महिलाओं के लिए किया है।

  • पहले राजनीति में औरतों की भागीदारी बहुत कम थी।
  • अब पंचायत में एक-तिहाई सीटें महिलाओं की होती हैं।
  • कई गाँवों में महिलाएँ असली प्रधान बनकर काम कर रही हैं।

👉 (Example: गाँव की ‘सरपंच बहू’ ने शौचालय और स्कूल बनवाकर पूरे गाँव का चेहरा बदल दिया।)


आम विवाद और गलतफहमियाँ

  • कई बार लोग कहते हैं – “ये सीट बार-बार रिज़र्व क्यों होती है?”
  • कुछ गाँवों में झगड़ा हो जाता है कि किस जाति के लिए आरक्षण होगा।
  • लेकिन असलियत ये है कि यह सब राज्य सरकार द्वारा तय नियमों के हिसाब से होता है, किसी प्रधान या गाँव के लोग इसे बदल नहीं सकते।

👉 (Example: जैसे क्रिकेट में हर खिलाड़ी को बैटिंग करने की बारी मिलती है, वैसे ही पंचायत में आरक्षण से हर वर्ग को मौका मिलता है।)


आरक्षण का फायदा

  • दलित, पिछड़े और महिलाएँ राजनीति में आगे आए।
  • गाँव की राजनीति सिर्फ़ अमीर और ताक़तवर तक सीमित नहीं रही।
  • नई सोच और नए चेहरे पंचायत में आने लगे।

संक्षेप में

पंचायत चुनाव में आरक्षण का मतलब है:

  • हर वर्ग को बराबरी का हक़।
  • महिलाओं को राजनीति में जगह।
  • रोटेशन सिस्टम से सबको बारी-बारी मौका।

👉 यही लोकतंत्र की असली खूबसूरती है।


❓FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

प्रश्न 1: क्या हर गाँव की सीट हर बार आरक्षित होती है?
👉 नहीं, हर बार रोटेशन से सीटें बदलती हैं।

प्रश्न 2: क्या महिला सामान्य सीट से भी प्रधान बन सकती है?
👉 हाँ, कोई भी महिला सामान्य (General) सीट से चुनाव लड़ सकती है।

प्रश्न 3: क्या आरक्षण हटाया जा सकता है?
👉 नहीं, ये संविधान और राज्य सरकार द्वारा तय व्यवस्था है।


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