एक देश एक उर्वरक योजना क्या है | One Nation One Fertilizer Scheme in Hindi

केंद्र ने भारत ब्रांड के तहत एक राष्ट्र एक उर्वरक योजना लागू की है। देश के किसानों के विकास और उत्थान के लिए भारत सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। अब जल्द ही केंद्र सरकार किसानों के लिए खाद के क्षेत्र में एक अहम कदम उठाते हुए “ वन नेशन वन फर्टिलाइजर ” नाम का कार्यक्रम शुरू करने जा रही है। सरकार द्वारा 2 अक्टूबर 2022 को महात्मा गांधी जयंती के अवसर पर “प्रधान मंत्री भारतीय जन-यूरिया परियोजना” और “मॉडल उर्वरक खुदरा दुकान” के तहत “एक राष्ट्र एक उर्वरक” लॉन्च किया जाना है। आईये जानते है, कि एक देश एक उर्वरक योजना क्या है | One Nation One Fertilizer Scheme in Hindi.

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देश के करोड़ो किसानों को इस योजना के माध्यम से 6 हजार रूपए वार्षिक लाभ प्राप्त कर रहे है

एक देश एक उर्वरक योजना क्या है (What is One Nation One Fertilizer Scheme)

प्रधानमंत्री जन उर्वरक परियोजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा वन नेशन वन फर्टिलाइजर योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत, यूरिया, डायमोनियम फॉस्फेट (DAP), मूररेट ऑफ आउटाश (MOP), एनपीके को भारत यूरिया, भारत डीएपी, भारत एमओपी और भारत एनपीके जैसे “भारत” के ब्रांड नामों के तहत बेचा जाएगा। केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया ने सभी उर्वरक कारखानों, राज्य की व्यापारिक कंपनियों और उर्वरकों की विपणन कंपनियों को निर्देश जारी किया है, कि केंद्र सरकार द्वारा सब्सिडी वाले सभी उर्वरक बैगों का एक ही ब्रांड नाम और प्रधानमंत्री सार्वजनिक उर्वरक का लोगो होगा। यानी अब देश के किसानों को वही खाद खाद मिलेगी।

एक देश एक उर्वरक योजना के माध्यम से किसानों को खाद की बोरियों पर भारत ब्रांड का लोगो होने से यह स्पष्ट हो जाएगा, कि यह खाद केंद्र की सब्सिडी वाली खाद है और किसान ब्रांड के झांसे में नहीं आएंगे। यह एक ब्रांड और दूसरे ब्रांड के बीच की असमानता को समाप्त करेगा।

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एक देश एक उर्वरक योजना का उद्देश्य (One Nation One Fertilizer Scheme)

रसायन और उर्वरक मंत्रालय द्वारा शुरू की गई वन नेशन वन फर्टिलाइजर पहल का मुख्य उद्देश्य देश भर में उर्वरक ब्रांडों के औद्योगिक मोड़ पर प्रतिबंध लगाकर उर्वरकों में एकरूपता लाना है। उर्वरक कंपनियों को अब अपने उत्पाद ‘सिंगल ब्रांड’ और ‘सिंगल बैग डिजाइन’ के साथ बेचने होंगे। सरकार की ओर से 24 अगस्त को जारी एक आदेश में देश की सभी उर्वरक कंपनियों से कहा गया है, कि वे अपने उत्पाद बैग पर उर्वरक सब्सिडी योजना यानी प्रधानमंत्री भारतीय जनुवरक परियोजना (PMBJP) का एक ही ब्रांड नाम और लोगो प्रदर्शित करें। इस पहल के तहत कंपनियों को अपने उत्पादों के केवल एक तिहाई बैग पर अपना नाम, ब्रांड, लोगो और अन्य प्रासंगिक उत्पाद जानकारी प्रदर्शित करने की अनुमति होगी।

  • इसके साथ ही उनके लिए शेष दो तिहाई उत्पाद बैगों पर एकल ब्रांड “भारत” और पीएमबीजेपी का लोगो प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा। 
  • इस पहल के माध्यम से, किसानों द्वारा सामना की जा रही ब्रांड विशिष्ट वरीयता के भ्रम को दूर किया जाएगा क्योंकि विभिन्न कंपनियों द्वारा उर्वरकों में एक ही एन और पी का उपयोग किया जाता है।
  • कंपनियां सभी यूरिया ब्रांडों में 46% एन और सभी डीएपी ब्रांडों में 18% एन और 46% पी का उपयोग करती हैं।
  • केंद्र सरकार ने उर्वरक कंपनियों को 15 सितंबर 2022 से पुराने डिजाइन के बोरे नहीं खरीदने की सलाह दी है क्योंकि वन नेशन वन फर्टिलाइजर पहल के तहत 2 अक्टूबर 2022 से नए बैग पेश किए जाएंगे।
  • इसके अलावा उर्वरक कंपनियों को सरकार द्वारा चार महीने का समय 31 दिसंबर 2022 तक बाजार से पुराने डिजाइन के बोरे हटाने का समय दिया गया है।

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उर्वरकों की चोरी व कालाबाजारी पर लगेगी रोक (Theft and Black Marketing of Fertilizers will be Stopped)

सरकार का मानना ​​है कि एक ही बोरे में और एक ब्रांड नाम के तहत खाद उपलब्ध कराकर देश में उर्वरकों की चोरी और कालाबाजारी को रोका जा सकता है। वन नेशन वन फर्टिलाइजर के तहत एक तरफ सभी उर्वरक बोरियों के दो तिहाई पर “भारत” ब्रांड और “प्रधान मंत्री भारतीय जन उर्वरक योजना” का लोगो होगा और शेष एक तिहाई पर कंपनी के विवरण और तथ्य मुद्रित होंगे। इससे खेती योग्य उर्वरकों की आसानी से पहचान हो सकेगी, जिससे उर्वरकों की चोरी और कालाबाजारी को आसानी से रोका जा सकेगा।

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पुरानी बोरियों के निपटान की अंतिम तिथि (Last Date for Disposal of Old Bags)

भारत सरकार ने सभी उर्वरक कंपनियों को 15 सितंबर, 2022 के बाद पुराने डिजाइन और लोगो वाले उर्वरक बैग नहीं खरीदने का निर्देश दिया है क्योंकि सरकार जल्द ही वन नेशन वन फर्टिलाइजर पहल के तहत नए डिजाइन के साथ उर्वरक बैग पेश करने जा रही है। इसके साथ ही सरकार ने कंपनियों को पुराने बोरों को निपटाने के लिए 31 दिसंबर 2022 तक चार महीने का समय दिया है। नए बोरों को प्रचलन में लाने के लिए उर्वरक कंपनियों को सलाह दी गई है कि वे उर्वरकों के लिए मेट्रोलॉजी अधिनियम, पैक्ड कमोडिटीज अधिनियम के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन करें।

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एक देश एक उर्वरक योजना के लाभ (One Nation One Fertilizer Scheme Benefits)

  • खाद की बोरियों पर नए डिजाइन की छपाई के बाद उत्पादों की कालाबाजारी और धांधली पर रोक लगेगी। यदि कोई खाद की खरीद-बिक्री में कालाबाजारी या धोखाधड़ी करता है, तो उसके लिए कठोर दण्ड का प्रावधान निर्धारित किया गया है।
  • वन नेशन वन फर्टिलाइजर के माध्यम से किसानों को रबी और खरीफ सीजन में आसानी से सब्सिडी वाले उर्वरक मिल सकेंगी।
  • बाजार में उपलब्ध सभी कंपनियां, चाहे वह निजी हों या सार्वजनिक, उनके द्वारा एक ही कीमत पर बेची जाएंगी। जिससे किसानों को खरीद में आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
  • केंद्र सरकार द्वारा सब्सिडी वाले उर्वरक बेचने वाली सभी कंपनियों द्वारा भारत उर्वरक लोगो का उपयोग करने से कंपनियों के बीच असमानता समाप्त हो जाएगी। देखा जाए तो उर्वरक कंपनियों को भी इस योजना का लाभ मिलेगा।
  • वन नेशन वन फर्टिलाइजर योजना से किसान कम कीमत पर खेती के लिए खाद और खाद प्राप्त कर सकेंगे।

योजना की घोषणा के बाद उर्वरक कंपनियों का प्रदर्शन (Fertilizer Companies’ Performance After Announcement of the Plan)

रसायन और उर्वरक मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा घोषित इस पहल के बावजूद देश में अधिकांश उर्वरक कंपनियां बीएसई की खबर से प्रभावित हुई हैं, कि यूरोपीय कंपनियां प्राकृतिक गैस की बढ़ती कीमतों के कारण अमोनिया का उत्पादन कम कर रही हैं। इसका मतलब है कि जीएनएफसी (गुजरात नर्मदा वैली फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड) और चंबल फर्टिलाइजर्स जैसी भारतीय फर्मों के लिए निर्यात के अधिक अवसर पैदा होंगे।

भारत सरकार द्वारा घोषित वन नेशन वन फर्टिलाइजर पहल को उर्वरक कंपनियों से प्रतिकूल प्रतिक्रिया मिल रही है। उर्वरक कंपनियों का कहना है कि भारत सरकार की इस पहल से उनकी ब्रांड वैल्यू और बाजार में भेदभाव खत्म हो जाएगा। बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट में उद्योग के एक अधिकारी के अनुसार, मोदी सरकार की इस पहल से उर्वरक कंपनियों को ब्रांड वैल्यू के मामले में भारी नुकसान होने की संभावना है।

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