चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष ढंग से संपन्न करने के लिए प्रशासनिक अधिकार की शक्ति निर्वाचन आयोग के पास रहना आवश्यक है। यह शक्ति निर्वाचन आयोग अचार संहिता के माध्यम से प्राप्त करता है। आचार संहिता के द्वारा चुनाव आयोग अपनी सुविधा के अनुसार सभी प्रकार की सुविधा प्राप्त कर सकता है, इस अवधि में कोई भी राजनैतिक व्यक्ति या दल उसके किसी भी कार्य में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है।
इस समय निर्वाचन आयोग द्वारा लिया गया निर्णय ही मान्य होता है। इस पेज पर आचार संहिता क्या है, कब और क्यों लगती है, नियम, आचार संहिता कब तक रहती है के विषय में विस्तार से बताया जा रहा है।
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आचार संहिता क्या है (What Is The Code of Conduct)
विषयसूची
निर्वाचन आयोग के द्वारा चुनाव तिथि की घोषणा से लेकर चुनाव समाप्त होने तक के समय में निर्वाचन आयोग के द्वारा दिए गए सभी निर्देशों का अनुपालन केंद्र सरकार, राज्य सरकार और उसके सभी कर्मचारियों द्वारा अनिवार्य रूप से किया जाता है।
इस अवधि में केंद्र सरकार, राज्य सरकार कोई भी नयी योजना को शुरू नहीं कर सकती है। प्रशासन पर पूरी तरह निर्वाचन आयोग का नियंत्रण होता है।
निर्वाचन आयोग अपनी इच्छा के अनुसार अधिकारियों का ट्रांसफर और उन्हें कार्य सौप सकता है।
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आचार संहिता कब और क्यों लगती है
जनता द्वारा चुनी गयी सरकार का कार्यकाल समाप्त होने पर नयी सरकार के गठन के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव कराये जाते है।
इस चुनाव प्रक्रिया को सम्पन्न करने के लिए आचार संहिता लगायी जाती है, जिससे चुनाव आयोग को कई अधिकार प्राप्त हो जाते है।
इन अधिकारों के कारण कोई भी इसके कार्य में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है, इसलिए आचार संहिता लगायी जाती है। चुनाव की तिथि के साथ ही आचार संहिता की भी घोषणा की जाती है।
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आचार संहिता के नियम (Code of Conduct Rules)
- आचार संहिता लागू होने के बाद किसी भी राजनीतिक दल के द्वारा जाति या धर्म के आधार पर मतभेद या घृणा की भावना नहीं फैलाई जा सकती है।
- राजनीतिक दलों द्वारा की गयी आलोचना किसी व्यक्ति विशेष पर न हो।
- धार्मिक स्थानों का उपयोग चुनावी सभा के लिए नहीं किया जा सकता है।
- वोट लेने के लिए भ्रष्ट आचरण का प्रयोग नहीं किया जा सकता है जैसे रिश्वत देना, मतदाताओं को धमकाना इत्यादि।
- बिना अनुमति के किसी के घर या दीवार पर कोई पोस्टर नहीं चिपकाया जा सकता है।
- किसी की भूमि पर बिना उसकी सहमति के कोई भी जुलूस या सभा नहीं की जा सकती है।
- यदि कोई दल निर्वाचन आयोग के नियमों का पालन करते हुए जुलूस या सभा का आयोजन कर रहा है, तो दूसरे दल के द्वारा उसमे बांधा नहीं डाली जा सकती है।
- राजनीतिक दल कोई भी विवादित बयान नहीं दे सकते है, जिससे किसी की धार्मिक या जातीय भावनाएं आहत होती हों।
- सभा करने से पूर्व सभा के स्थान व समय की सूचना पुलिस अधिकारियों को देनी होगी।
- लाउडस्पीकर की अनुमति सभा स्थल में पहले से प्राप्त करें जिससे बाद में कोई भी परेशानी का सामना न करना पड़े।
- सभा में किसी भी प्रकार की परेशानी करने वाले तत्वों से निपटने के लिए पुलिस की सहायता करें।
- यदि आप किसी प्रकार का जुलूस निकालना चाहते है, तो जुलूस का समय, स्थान और उसके मार्ग तथा जुलूस समाप्त होने के समय के बारे में पुलिस को पहले से ही सूचना देनी होगी, जिससे यातायात प्रभावित न हो।
- एक से अधिक राजनीतिक दलों का एक ही दिन, एक ही रास्ते से जुलूस निकालने का प्रस्ताव हो तो समय परिवर्तन से सम्बंधित पहले से ही निर्णय लेना चाहिए।
- सड़क के दायीं तरफ से ही जुलूस निकाला जा सकता है।
- जुलूस में उत्तेजित करने वाली चीजों का प्रयोग नहीं किया जा सकता है, जिससे शान्ति भंग होने का खतरा हो।
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मतदान से सम्बंधित नियम (Voting Rules)
- राजनीतिक दलों को अपने कार्यकर्ता की पहचान के लिए बिल्ले या पहचान पत्र का प्रयोग करना चाहिए।
- मतदाताओं को दी जाने वाली पर्ची में राजनीतिक दल या प्रत्याशी का नाम नहीं होना चाहिए।
- मतदान के एक दिन पूर्व किसी व्यक्ति या दल के द्वारा शराब या रुपये का वितरण नहीं होना चाहिए।
- मतदान के दिन वाहन चलाने से पूर्व इसकी स्वीकृति प्राप्त करे।
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आचार संहिता कब तक रहती है
आचार संहिता चुनाव की तिथि की घोषणा के साथ लागू की जाती है और परिणाम की घोषणा के साथ ही समाप्त होती है, इस बीच निर्वाचन आयोग के नियमों का पालन करना अनिवार्य है, नहीं तो निर्वाचन अधिकारी के द्वारा आपको दंड दिया जा सकता है।
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यहाँ पर हमनें आपको आचार संहिता क्या है, कब और क्यों लगती है, आचार संहिता के नियम, आचार संहिता कब तक रहती है के विषय में जानकारी उपलब्ध करायी है।
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