Defection Act in Hindi – भारतीय राजनीति में लाभ प्राप्त करने के लिए एक दल को छोड़कर दूसरे दल में शामिल होना एक साधारण सी बात होती जा रही है| जिस कारण से भारतीय राजनीति के उच्च आदर्शों को बहुत ही हानि हो रही है| इसे रोकने के लिए 24 जनवरी 1985 को राजीव गांधी सरकार (Rajiv Gandhi Government) द्वारा संविधान (Constitution) में 52वां संशोधन किया गया | इस विधेयक को 30 जनवरी को लोकसभा (Lok Sabha) और 31 जनवरी को राज्यसभा (Rajya Sabha) में पारित किया गया था | इसके बाद राष्ट्रपति ने इस पर हस्ताक्षर किया, जिसके बाद से दल-बदल अधिनियम लागू किया गया | दल-बदल अधिनियम क्या है, कब लागू होता है ? इसके विषय में आपको यहाँ पूरी जानकारी दी जा रही है |
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दल-बदल अधिनियम क्या है (What is Defection Act)
विषयसूची
राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के लिए विधानसभा सदस्य (Member of Legislative Assembly) या लोकसभा सदस्य (Lok Sabha Member) एक दल को छोड़कर किसी अन्य दूसरे राजनीतिक पार्टी में शामिल होने को रोकने के लिए जिस अधिनियम का निर्माण किया गया है, उसे दल-बदल अधिनियम (Defection Act) कहा जाता है |
भारतीय संविधान की 10वीं अनुसूची को दल-बदल विरोधी कानून से सम्बंधित है| यह अनुसूची ऐसी परिस्थितियों को इंगित करती है, जिसके अंतर्गत यदि कोई विधायक अपने दल को छोड़कर किसी दूसरी राजनीतिक पार्टी को ज्वाइन करता है, तो उस विधायक पर कार्रवाई हो सकती है। इसके अंतर्गत यदि कोई निर्दलीय विधायक (Independent MLA) इलेक्शन के पश्चात किसी अन्य राजनीतिक पार्टी में शामिल होता है, तो उस उस पर कार्रवाई की जाती है|
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दल-बदल अधिनियम में क्या होता है (What Happens in Defection Act)
- जब कोई विधानसभा सदस्य (Member of Legislative Assembly) या लोकसभा सदस्य (Lok Sabha Member) स्वेच्छा से अपने दल को छोड़कर किसी अन्य दूसरे दल में जैसे ही शामिल होता है अथवा दूसरी पार्टी ज्वाइन करता है , वैसे ही उसकी सदस्यता (Membership) समाप्त कर दी जाती है |
- जब कोई सदस्य पार्टी व्हिप के विरुद्ध सदन में मतदान करता है या मतदान के समय उपस्थित नहीं रहता है, उस समय यदि पार्टी 15 दिन के अन्दर क्षमा न करने की स्थिति में दल-बदल अधिनियम के अंतर्गत उनकी सदस्यता समाप्त कर दी जाती है|
- यदि कोई सदस्य अपनी मर्जी से त्यागपत्र देता है, तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाएगी |
- यदि कोई निर्दलीय व्यक्ति चुनाव जीतने के बाद किसी दल में शामिल हो जाता है, तो उसकी सदस्यता समाप्त कर दी जाती है |
- यदि मनोनीत सदस्य किसी दल का सदस्य बन जाता है, तो उसकी सदस्यता समाप्त कर दी जाती है |
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दल-बदल अधिनियम से लाभ (Defection Act Benefit)
• इस अधिनियम के द्वारा राजनीतिक अस्थिरता को समाप्त कर दिया गया |
• राजनीति में आर्थिक लाभ लेने व भ्रष्टाचार पर रोक लगाने का प्रयास किया गया |
• राजनीतिक दलों को एक संवैधानिक पहचान दी गयी |
• इस अधिनियम के द्वारा राजनीतिक दलों को शक्तिशाली बनाया गया |
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दल-बदल अधिनियम से हानि (Defection Act Loss)
- इस अधिनियम के द्वारा व्यक्तिगत विचार सार्वजानिक रूप से रखने पर रोक लगा दी गयी |
- निर्दलीय और दलीय सदस्यों के बीच भेदभाव का जन्म होनें के साथ ही विवाद की संभावना उत्पन्न हो जाती है |
- बड़ी संख्या में एक साथ सदस्यों को एक दल से दूसरे दल में शामिल होने को कानूनी मान्यता दी गयी |
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संविधान संशोधन (Constitutional Amendment)
दल-बदल अधिनियम के अंतर्गत संविधान के अनुच्छेद 101, 102, 190 और 191 में संशोधन कर संविधान की दसवीं अनुसूची को जोड़ा गया और इस संशोधन को 1 मार्च 1985 को लागू कर दिया गया था |
97वें संसोधन में दसवीं अनुसूची की धारा 3 को समाप्त कर दिया गया है | हालाँकि इससे पहले एक-तिहाई (1/3) सदस्य एक साथ मिलकर दल बदल कर सकते थे, लेकिन 97वें संशोधन के पश्चात दो-तिहाई (2/3) से कम सदस्य अपनें दल को नहीं छोड़ सकते |
यहाँ पर हमनें आपको दल-बदल अधिनियम के विषय में जानकारी दी है, यदि इस जानकारी से सम्बन्धित कोई अन्य जानकारी आप प्राप्त करना चाहते है, तो कमेंट बाक्स के माध्यम से पूँछ सकते है, हम आपके द्वारा की गयी प्रतिक्रिया और सुझावों का इंतजार कर रहे है |
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