Bihar Election 2021 – बिहार राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पंचायत चुनाव की घोषणा के बाद से ही पूरे राज्य में चुनावी माहौल बन गया है| बिहार राज्य में होनें वाले यह चुनाव कुल 11 चरणों में संपन्न कराये जायेंगे| इस चुनाव में पंचायती राज संस्थाओं के लिए 6 पदों वार्ड सदस्य, पंच, मुखिया, सरपंच, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य का चयन किया जायेगा| आपको बता दें, कि पहले चरण का चुनाव 24 सितंबर को संपन्न होगा| इस पंचायत चुनाव में सबसे अधिक दावेदारी मुखिया (Mukhiya) और जिला परिषद के लिए देखनें को मिलती है| इसके बाद पंचायत समिति सदस्य और सरपंच नंबर आता है| दरअसल मुखिया का पद ज्यादा प्रभावशाली माना जाता है, परन्तु इस बार पंचायती राज विभाग (Panchayati Raj Department) द्वारा मुखिया और सरपंच (Sarapanch) के अधिकारों का बंटवारा कर दिया है| बिहार में सरपंच और मुखिया के अधिकारों में फेरबदल के बारें में आपको यहाँ पूरी जानकारी दे रहे है|
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सरपंच और मुखिया के अधिकारों में बदलाव (Rights of Sarpanch and Mukhiya)
विषयसूची
बिहार में पंचायती चुनाव के लिए अधिसूचना जारी होनें के बाद ही पंचायती राज विभाग द्वारा मुखिया और सरपंच के अधिकार और शक्तियों का निर्धारण कर दिया है| हालाँकि दोनों के दायित्वों को निर्धारित करनें के बाद चुनावी माहौल बिल्कुल ही बदल गया है| ग्राम सभा और पंचायतों की बैठक बुलाने का अधिकार और विकास योजनाओं के लिए मिलने वाली पंजी की निगरानी की जिम्मेदारी मुखिया की होगी| जबकि गांवों में सड़कों के रखरखाव, किसानों के लिए सिंचाई की व्यवस्था तथा पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा देने जैसे कार्यों की जिम्मेदारी सरपंच की होगी|
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मुखिया के अधिकार और जिम्मेदारियां (Powers & Responsibilities of Mukhiya)
Mukhiya ke adhikar- पंचायती राज विभाग द्वारा जारी किये गये नए नियमों के मुताबिक, मुखिया को अपनें कार्य क्षेत्र में एक साल में कम से कम 4 बैठकों का आयोजन करना होगा| इसके साथ ही मुखिया को ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों की कार्य योजना बनानें के साथ ही प्रस्तावों को लागू करने की जिम्मेदारी इन्ही की होगी तथा ग्राम पंचायतों के लिए निर्धारित कर अर्थात टैक्स, चंदे और विभिन्न प्रकार के अन्य शुल्क की वसूली करनें की जिम्मेदारी मुखिया की होगी|
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सरपंच को मिले नए अधिकार (New Rights To Sarpanch)
Sarpanch ke adhikar– पंचायती राज व्यवस्था में मुखिया के साथ-साथ सरपंचों को 3 बड़े अधिकार दिए गए हैं। ग्राम पंचायत की बैठक बुलाने के साथ ही उसकी अध्यक्षता करने का अधिकार सरपंच को दिया गया है| इसके साथ ही ग्राम पंचायत की कार्यकारी (Executive) और वित्तीय शक्तियां (Financial Powers) भी इन्ही के पास होंगी| सरपंच के मुख्य कार्यों में सड़कों की देखभाल करना (Road maintenance), पशुपालन व्यवसाय (Animal Husbandry Business) को बढ़ावा देना, सिंचाई की व्यवस्था (Irrigation System) करनें के साथ ही दाह-संस्कार (Cremation) और कब्रिस्तान का रखरखाव (Maintenance of Cemetery) करना भी इन्ही की देख-रेख में होगा|
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पंचायत समितियों के अधिकार (Powers of Panchayat Samitis)
पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत पंचायत समिति को केंद्र, राज्य और जिला परिषद द्वारा सौंपे कार्यों का निष्पादन करना होगा। पंचायत समिति का वार्षिक बजट बनानें के साथ ही उसे पेश करनें की जिम्मेदारी इन्ही की होगी| किसी प्रकार की प्राकृतिक आपदा आने पर पंचायत समिति प्रमुख को पच्चीस हजार (Twenty Five Thousnad) रुपये खर्च करनें का अधिकार भी इन्ही को होगा|
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जिला परिषद की जिम्मेदारियां (Responsibilities of Zilla Parishad)
पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत जिला परिषद को दिए गये अधिकारों में उन्हें अपनें क्षेत्रों में पशु चिकित्सालयों (Veterinary Clinics) और औषधालयों (Dispensaries) की स्थापना करना, गाय, भैंसों और सुअरों के प्रजनन (Reproduction) प्रक्षेत्र, मुर्गी फार्म (Poultry Farm), बत्तख-बकरी फार्म (Duck goat farm), दुग्धशाला (Dairy Farm) के अलावा महामारी (Epidemic) तथा छूत रोगों (Contagious Diseases) की रोकथाम करना होगा। इसके अलावा ग्राम कचहरी (Village Court) को दीवानी क्षेत्राधिकार के साथ मामलों का दायर किया जाना एवं ट्रायल व ग्राम कचहरी द्वारा पारित आदेश, डिग्री का कार्यान्वयन होगा।
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शक्तियों और अधिकारों में बदलाव का कारण
दरअसल बिहार सरकार द्वारा पंचायती राज व्यवस्था में बदलाव किये जानें का मुख्य कारण गांवों में विकास दर को बढ़ानें के साथ ही कार्यों में पारदर्शिता लाना है| इन बदलावों से पंचायतों को मजबूत करने में सहायता मिलेगी| नए नियमों के मुताबिक, बीडीओ (VDO) और उप विकास आयुक्त (Deputy Development Commissioner-DDC) को पंचायतों के काम से अलग किया गया है। अब पंचायती राज विभाग के अंतर्गत प्रखंड और जिले में अलग से अधिकारी तैनात किए जाएंगे।
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