महाशिवरात्रि क्या होती है?

Mahashivratri 2022 Me Kab Hai

भारत में लगभग सभी धर्मों अर्थात हिन्दू, मुस्लिम, जैन, सिख आदि धर्म के लोग रहते है, और सभी अपनें धर्मों के अनुसार अपनें इष्ट की पूजा अर्चना करते है| हिंदुओ के लगभग तैतीस करोड़ से भी अधिक देवी-देवता हैं, जिन्हें वह पूरी श्रद्धा के साथ मानते और पूजा करते है, परंतु उनमें से प्रमुख स्थान भगवान शिव का है। शास्त्रों और पुराणों में भगवान शिव के अनेको नाम है| भगवान शिव को शंकर, भोलेनाथ, पशुपति, त्रिनेत्र, पार्वतिनाथ आदि अनेक नामों से जाना व पुकारा जाता है। भगवान  का पावन पर्व महाशिवरात्रि में अब कुछ ही दिने शेष है और भक्तजन इसकी तैयारियों में लगे हैं। इस दिन न सिर्फ भोलेबाबा की पूजा होती है, बल्कि निराहार व्रत भी रखा जाता है। महाशिवरात्रि क्या होती है, महत्व, मनानें का कारण के बारें में आपको इस लेख के माध्यम से पूरी जानकारी देने का प्रयास कर रहे है|

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महाशिवरात्रि क्या होती है (Mahashivratri Kya Hoti Hai)

हिन्दू धर्म के अंतर्गत महाशिवरात्र‍ि हिंदुओं का एक धार्मिक त्योहार है, जिसे हिंदू धर्म के मुख्य देवता शिवजी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। वैसे तो शिवरात्रि प्रतिमाह आती हैं, परन्तु फाल्गुन माह में पड़ने वाली शिवरात्रि सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है, जिसे महाशिवरात्रि कहा जाता है| चतुर्दशी तिथि भगवान शंकर की तिथि मानी जाती है, और चतुर्दशी को ही शिवरात्रि मनाई जाती है|

शिवरात्रि हिन्दुओं के शुभ त्योहारों में से एक है| हिन्दू कैलेंडर के अनुसार महाशविरात्रि फाल्गुन या माघ की 13वीं रात या 14वें दिन पर पड़ती है| महाशिवरात्र‍ि का पर्व फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन शिवभक्त एवं शिव में श्रद्धा रखने वाले लोग व्रत-उपवास रखते हैं और विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना करते हैं। इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 1 मार्च दिन मंगलवार शुक्रवार को मनाई जाएगी।

आखिर क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि (Mahashivratri Kyon Manai Jati Hai)

प्रत्येक चन्द्र माह का 14वाँ दिन अथवा अमावस्या से पूर्व का एक दिन शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। एक कैलेंडर वर्ष में आने वाली सभी शिवरात्रियों में सेमहाशिवरात्रि को सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, जो फरवरी-मार्च माह में आती है। इस रात ग्रह का उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार अवस्थित होता है, कि मनुष्य अन्दर ऊर्जा का प्राकृतिक रूप से ऊपर की और जाती है।

यह एक ऐसा दिन है, जब प्रकृति मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक जाने में मदद करती है। इस समय का उपयोग करने के लिएइस परंपरा मेंहम एक उत्सव मनाते हैं, जो पूरी रात चलता है। पूरी रात मनाए जाने वाले इस उत्सव में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है, कि ऊर्जाओं के प्राकृतिक प्रवाह को उमड़ने का पूरा अवसर मिले – आप अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए निरंतर जागते रहते हैं।

महाशिवरात्रि 2022 में कब है (Mahashivratri In 2022)

वर्ष 2022 में महाशिवरात्रि 1 मार्च दिन मंगलवार को मनाई जा रही है| प्रत्येक माह की  चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव की तिथि माना जाता है|  यही चतुर्दशी तिथि जब फाल्‍गुन में पड़ती है, तो इसे महाशिवरात्रि माना जाता है| महाशिवरात्रि की तिथि 1 मार्च को शाम 06 बजकर 27 मिनट से प्रारंभ होकर 12 मार्च दोपहर 3 बजकर 04 मिनट तक तक होगी|

महाशिवरात्रि का महत्व (Importance Of Mahashivratri)

महाशिवरात्रि अध्यात्म के मार्ग पथ पर चलने वाले साधकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है । महाशिवरात्रि उनके लिए भी महत्वपूर्ण है, जो पारिवारिक परिस्थितियों में हैं और संसार की महत्वाकांक्षाओं में विलीन हैं। पारिवारिक परिस्थितियों में मग्न लोग महाशिवरात्रि को शिव के विवाह के उत्सव की तरह मनाते हैं। सांसारिक महत्वाकांक्षाओं में मग्न लोग महाशिवरात्रि को, शिव के द्वारा अपने शत्रुओं पर विजय पाने के दिवस के रूप में मनाते हैं।

महाशिवरात्रि साधकों के लिएयह वह दिन है, जिस दिन भगवान् शिव कैलाश पर्वत के साथ एकात्म हो गए थे। वह एक पर्वत की भाँति स्थिर व निश्चल हो गए थे। यौगिक परंपरा मेंशिव को किसी देवता की तरह नहीं पूजा जाता, क्योंकि उन्हें आदि गुरु माना जाता है|ध्यान की अनेक सहस्राब्दियों के पश्चात्, एक दिन वह पूर्ण रूप से स्थिर हो गए। वही दिन महाशिवरात्रि का था, उनके अन्दर की समस्त गतिविधियाँ शांत हुईं और वह पूर्ण रूप से स्थिर हुए, इसलिए साधक महाशिवरात्रि को स्थिरता की रात्रि के रूप में मनाते हैं।

महाशिवरात्रि में पूजा कैसे करे (Maha Shivratri Puja Vidhi)

शिवरात्रि को भगवान भोलेनाथ को सबसे पहले पंचामृत से स्नान कराये, इसके पश्चात 8 लोटे जल चढ़ाएं और यदि संभव हो सके तो इसमें केसर अवश्य मिलाये| इसके साथ ही पूरी रात के लिए एक दीप जलाये और चंदन का तिलक लगाये| धतूरा, भांग, तुलसी, मीठा पान, जायफल के साथ अपनी क्षमता के अनुसार दक्षिणा चढ़ाएं|

सबसे अंत में केसर मिश्रित खीर का लगाकर इसे प्रसाद के रूप में सभी को बांटे| इसके पश्चात आप ॐ नमो भगवते रूद्राय, ॐ नमः शिवाय रूद्राय् शम्भवाय् भवानीपतये नमो नमः मंत्र का जाप करें| इसके आलावा आप इस दिन शिव पुराण का पाठ अवश्य करे| 

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