हम सबकी जिंदगी पेट्रोल पर टिकी है – चाहे वह हमारी गाड़ी हो या रोज़मर्रा का ट्रांसपोर्ट। लेकिन अब सरकार एथनॉल मिश्रित पेट्रोल (E20, E85 आदि) पर ज़ोर दे रही है। ऐसे में एक सवाल हर किसी के मन में आता है – क्या एथनॉल पेट्रोल से बेहतर है?
आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं।
पेट्रोल क्या है?
विषयसूची
पेट्रोल एक जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuel) है, जो कच्चे तेल (Crude Oil) से रिफाइनिंग करके तैयार किया जाता है।
- यह लाखों साल पुराने मृत जीव-जंतुओं और पौधों से बना है।
- यह सीमित (Limited) संसाधन है।
👉 उदाहरण: जैसे अगर आपके घर में गैस सिलेंडर है तो वह खत्म हो सकता है, उसी तरह पेट्रोल भी एक दिन खत्म हो जाएगा क्योंकि यह दोबारा तुरंत बन नहीं सकता।
एथनॉल क्या है?
एथनॉल एक नवीकरणीय (Renewable) ईंधन है।
- इसे गन्ना, मक्का, गेहूँ जैसी फसलों से बनाया जाता है।
- यह दोबारा उगाई जाने वाली फसलों से मिलने वाला ईंधन है।
👉 उदाहरण: जैसे आप हर साल खेत में गन्ना बो सकते हैं और उससे बार-बार जूस निकाल सकते हैं।
पेट्रोल और एथनॉल की तुलना
पहलू | पेट्रोल | एथनॉल |
---|---|---|
स्रोत | जीवाश्म ईंधन (सीमित) | फसलें (नवीकरणीय) |
प्रदूषण | ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड | कम कार्बन उत्सर्जन |
कीमत | महंगा (आयात पर निर्भर) | सस्ता, स्थानीय स्तर पर उत्पादन |
वाहन पर असर | पुराने इंजन के लिए उपयुक्त | ज्यादा एथनॉल से पुराने इंजन प्रभावित हो सकते हैं |
खेती पर असर | खेती से जुड़ा नहीं | ज्यादा खेती और पानी की ज़रूरत |
भविष्य | धीरे-धीरे खत्म होगा | लंबे समय तक विकल्प बनेगा |
एथनॉल क्यों बेहतर है?
- पर्यावरण के लिए अच्छा – धुआँ और कार्बन उत्सर्जन कम।
- किसानों को लाभ – फसल बेचकर एथनॉल उत्पादन।
- आयात पर निर्भरता कम – भारत को बाहर से कच्चा तेल कम खरीदना पड़ेगा।
पेट्रोल क्यों अभी भी ज़रूरी है?
- एथनॉल तकनीक सभी इंजिनों में पूरी तरह फिट नहीं बैठती।
- एथनॉल की बड़ी मात्रा बनाने के लिए बहुत खेती और पानी चाहिए।
- अभी तक एथनॉल पूरी तरह पेट्रोल की जगह नहीं ले सकता।
क्यों भारत सरकार जनता पर E20 लागू कर रही है, जबकि कई गाड़ियाँ E20 कम्पैटिबल नहीं हैं?
भारत का भविष्य: मिश्रण की राह
भारत सरकार का लक्ष्य है 2025 तक पेट्रोल में 20% एथनॉल मिलाना (E20 Fuel)।
👉 यानी न तो 100% पेट्रोल, न ही 100% एथनॉल, बल्कि दोनों का संतुलन।

निष्कर्ष
अगर हम आज और भविष्य की तुलना करें तो:
- पेट्रोल अभी भी गाड़ियों के लिए ज़रूरी है, लेकिन यह सीमित है।
- एथनॉल टिकाऊ है और प्रदूषण भी घटाता है।
यानी भविष्य उन्हीं देशों का है जो एथनॉल जैसी वैकल्पिक ऊर्जा को अपनाएँगे।
भारत इस दिशा में तेज़ी से बढ़ रहा है और आने वाले सालों में यह बदलाव हमारे जीवन में साफ दिखेगा।