GenAI बेसिक्स: LLM और Prompt Engineering (साफ़-सुथरी हिंदी गाइड 2025)

GenAI यानी Generative AI हमें नया टेक्स्ट/कोड/कॉन्टेंट बनाने में मदद करती है। इसका दिल है LLM (Large Language Model)—एक ऐसा भाषा-मॉडल जो निर्देश पढ़कर इंसानी अंदाज़ में जवाब लिखता है। इस गाइड में हम दो चीज़ें बेहद स्पष्ट सीखेंगे:

  1. LLM क्या है—काम कैसे करता है (ज़्यादा तकनीकी नहीं, बस उतना जितना ज़रूरी)।
  2. Prompt Engineering—ऐसा प्रॉम्प्ट कैसे लिखें जिससे आउटपुट सटीक, साफ़ और उपयोगी मिले।

LLM क्या है? (60 सेकंड में)

  • LLM बड़े-बड़े टेक्स्ट से सीखता है कि भाषा कैसे बहती है, जवाब कैसे बनता है।
  • यह टोकन (शब्दों के छोटे हिस्से) पर सोचता है और अगला टोकन चुनकर वाक्य बनाता है।
  • एक बार में जितना पढ़/याद रख सकता है, उसे Context Window कहते हैं।
  • पैरामीटर (जैसे Temperature) से हम टोन/क्रिएटिविटी कंट्रोल कर पाते हैं।

याद रखने लायक: LLM पैटर्न-मैचिंग में शानदार है; “फैक्ट” तभी मज़बूत होंगे जब आप संदर्भ/सीमा साफ़ दें।


Prompt Engineering क्या है?

Prompt = निर्देश। Prompt Engineering = स्पष्ट, संदर्भ-समृद्ध, और फ़ॉर्मैटेड निर्देश लिखने की कला। बेहतर प्रॉम्प्ट = बेहतर आउटपुट।

मुख्य उद्देश्य:

  • मॉडल को आपका लक्ष्य, दर्शक, टोन, फ़ॉर्मैट और सीमाएँ साफ़ बताना।
  • जहाँ जोखिम हो (जैसे तथ्य), गार्डरेल जोड़ना: “निश्चित न हो तो कहो—‘जानकारी उपलब्ध नहीं।’”

गोल्डन फ़ॉर्मूला: R-G-C-F-E-S

प्रॉम्प्ट लिखते समय ये 6 पिलर अपनाएँ:

  1. R – Role (भूमिका): “आप एक {विशेषज्ञ/शैली} हैं…”
  2. G – Goal (लक्ष्य): “उद्देश्य: {ब्लॉग/समरी/ईमेल/कोड-समझ} …”
  3. C – Context (संदर्भ): टारगेट ऑडियंस, टोन, डोमेन, भाषा, लंबाई।
  4. F – Format (आउटपुट): Markdown/टेबल/JSON; शब्द-सीमा; हेडिंग्स।
  5. E – Examples (few-shot, वैकल्पिक): 1-2 छोटे डेमो—“ऐसा चाहिए।”
  6. S – Safeguards (गार्डरेल): “तथ्य न गढ़ें; संदर्भ न हो तो ‘उपलब्ध नहीं’ कहें।”

एक लाइन टेम्पलेट: “आप {Role} हैं। लक्ष्य: {Goal}। संदर्भ: {Audience/Tone/Length}। आउटपुट फ़ॉर्मैट: {Format}। यदि शंका हो तो ‘उपलब्ध नहीं’ लिखें। {Optional Examples}”


Zero-shot, Few-shot, Structured-shot—कब क्या?

  • Zero-shot: सीधे निर्देश; तेज़ और सरल कामों में ठीक।
  • Few-shot: 1-2 छोटे उदाहरण देकर पैटर्न सिखा दें—फ़ॉर्मैट स्थिर हो जाता है।
  • Structured-shot: आउटपुट स्कीमा (जैसे Markdown सेक्शन/JSON) तय कर दें—पोस्ट-एडिटिंग कम।

मिनी-उदाहरण (Few-shot):

उदाहरण आउटपुट:
– 5 बुलेट, हर बुलेट ≤15 शब्द
– आख़िर में 1-लाइन सलाह
अब विषय: “LLM के टोकन क्या होते हैं?” – उसी फ़ॉर्मैट में लिखें।


पैरामीटर्स—बस उतना जितना काम का

  • Temperature: कम (0–0.3) = सटीक/दोहराव; ज़्यादा (0.7–1.0) = क्रिएटिव/वैरिएशन।
  • Max tokens / Length: आउटपुट की सीमा तय करें (जैसे 900–1100 शब्द)।
  • Top-p: विविधता कंट्रोल; अधिकांश केस में डिफ़ॉल्ट ठीक।

Rule of Thumb:

  • फ़ैक्ट/कोड/पॉलिसी: Temperature कम।
  • आर्टिकल-आईडियाज़/क्रिएटिव कॉपी: Temperature मध्यम/ऊँचा।

10 कॉपी-रेडी प्रॉम्प्ट टेम्पलेट्स (सीधे उपयोग करें)

  1. ब्लॉग सेक्शन जनरेशन
    “आप एक महिला हिंदी ब्लॉगर हैं। उद्देश्य: {विषय} पर 200–250 शब्द का सेक्शन लिखना। दर्शक: शुरुआती। टोन: दोस्ताना। आउटपुट: 2 H3 सबहेडिंग + छोटे पैराग्राफ (3–4 लाइन), 1 उदाहरण, अंत में 2 बुलेट Key Takeaways।”
  2. FAQ राइटर
    “आप FAQ-राइटर हैं। विषय: {विषय}. 5 प्रश्न-उत्तर दें—हर उत्तर ≤40 शब्द, सरल हिंदी, बिना जार्गन।”
  3. टेबल मेकर
    “{विषय} के लिए 6-रो की तालिका दें: कॉलम—Term, आसान मतलब, कहाँ काम आता है (≤10 शब्द)। केवल Markdown तालिका।”
  4. समरी (कक्षा-9 स्तर)
    “इस टेक्स्ट का 120–150 शब्द में सार लिखें; 4 बुलेट Takeaways; 1-लाइन ‘आगे क्या करें?’”
  5. ईमेल ड्राफ्ट
    “आप एक कस्टमर-सपोर्ट राइटर हैं। स्थिति: {समस्या}. 120–160 शब्द का ईमेल—नम्र टोन, 1 लाइन ऐक्शन, 1 लाइन आश्वासन, सिग्नेचर प्लेसहोल्डर।”
  6. अनुवाद + टोन
    “नीचे अंग्रेज़ी टेक्स्ट का नैचुरल हिंदी अनुवाद करें; मुहावरे भारतीय संदर्भ अनुसार; तकनीकी शब्दों को कोष्ठक में समझाएँ (≤10 शब्द)।”
  7. आउटलाइन-टू-आर्टिकल
    “आप SEO-ब्लॉगर हैं। इस आउटलाइन से 800–1000 शब्द का ड्राफ्ट लिखें; H2/H3, 3 इमेज-प्रॉम्प्ट, अंत में FAQ + Meta (Focused KW, Title≤70c, Slug, Description≤160c, Keywords)। आउटलाइन: {points}”
  8. कोड-एक्सप्लेनर (No code change)
    “इस कोड का 5-बुलेट एक्सप्लनेशन लिखें; हर बुलेट ≤18 शब्द; 1 सुरक्षा चेतावनी; 1 परफॉर्मेंस टिप।”
  9. फैक्ट-गार्डेड उत्तर
    “आप तथ्य-जांचू सहायक हैं। अगर संदर्भ में जानकारी नहीं, साफ़ लिखें—‘उपलब्ध नहीं’। अंत में 2-बुलेट ‘क्या सत्यापित करें?’”
  10. JSON-फ़ॉर्मैटेड आउटपुट
    “केवल वैध JSON लौटाएँ: { "title":"", "bullets":[], "cta":"" }। कोई अतिरिक्त टेक्स्ट नहीं। सामग्री: {विषय/नोट्स}”

Prompt Debugging: आउटपुट ठीक नहीं आया तो क्या करें?

  1. लक्ष्य छोटा करें (एक-एक सेक्शन जनरेट करें, फिर जोड़ें)।
  2. फ़ॉर्मैट पक्का करें (हेडिंग/तालिका/JSON—स्पष्ट स्कीमा दें)।
  3. सीमाएँ जोड़ें (शब्द-सीमा, निषेध जैसे “तथ्य न गढ़ें”)।
  4. उदाहरण दें (1 छोटा डेमो आउटपुट—वही दोहराने को कहें)।
  5. पैरामीटर ट्यून करें (फैक्ट = Temperature कम; क्रिएटिव = थोड़ा ज़्यादा)।

Hallucination कम करने की 5 तरकीब

  • यदि संदर्भ न मिले तो ‘उपलब्ध नहीं’ लिखें”—स्पष्ट लिखें।
  • लंबाई सीमित रखें; बेवजह विस्तार से गलतियाँ बढ़ती हैं।
  • स्रोत-प्रकार सुझाने को कहें (जैसे: सरकारी साइट/डॉक्स)।
  • आउटपुट के अंत में 2-बिंदु अनिश्चितता लिखवाएँ (“किस बात पर शक है?”)।
  • जहाँ संभव हो, छोटे-छोटे चरणों में जनरेट करवाएँ (section-wise)।

एक नज़र: LLM के लिए सही प्रॉम्प्ट—मिनी चेकलिस्ट

  • Role और Goal साफ़?
  • Audience/टोन तय?
  • फ़ॉर्मैट/लंबाई तय?
  • Few-shot example (यदि ज़रूरी) दिया?
  • Safeguards (तथ्य न गढ़ें/अनिश्चितता बताएं) शामिल?
  • पैरामीटर (Temperature/Max Tokens) सेट?

छोटे-छोटे Practical Examples

A) ब्लॉग सेक्शन (Zero→Few-shot)

  • Zero-shot: “AI vs ML vs DL अंतर समझाओ।” → जवाब ठीक-ठाक।
  • Few-shot जोड़ें: “उदाहरण आउटपुट: 3 बुलेट, हर बुलेट ≤15 शब्द; आख़िर में 1 सलाह। अब वही फ़ॉर्मैट दोहराओ।” → फ़ॉर्मैट साफ़-सुथरा।

B) JSON आउटपुट टूट रहा है?

  • केवल वैध JSON लौटाएँ; कोई अतिरिक्त टेक्स्ट नहीं; कोड-फेंस में दें।”
  • बहुत बड़ा JSON? → “पहले keys की skeleton लौटाओ, मंज़ूर होने पर values भरेंगे।”

C) हिंदी/इंग्लिश मिक्स (हिंग्लिश)

  • “Audience=युवा, टोन=फ्रेंडली, हिंदी+सिंपल इंग्लिश मिक्स; शुद्ध टेक्निकल शब्दों के बाद (Hindi meaning) लिखें।”

FAQs

Q1. हिंदी में प्रॉम्प्ट दूँ या अंग्रेज़ी में?
दोनों चलेंगे। ऑडियंस-फोकस के लिए हिंदी/हिंग्लिश बेहतरीन है; टेक्निकल सटीकता चाहिए तो इंग्लिश भी ठीक।

Q2. लंबा प्रॉम्प्ट हमेशा बेहतर?
नहीं। स्पष्ट > लंबा। अनावश्यक बातें हटाएँ—बस Role, Goal, Context, Format, Safeguards दें।

Q3. Temperature कितना रखें?
फ़ैक्ट/कोड: 0–0.3। क्रिएटिव: 0.7–1.0। संदेह हो तो 0.5 से शुरू करके ट्यून करें।

Q4. क्या मॉडल “सोच के स्टेप्स” दिखा सकता है?
लंबी आंतरिक सोच नहीं माँगें। बेहतर है “मुख्य कारण/कदम बुलेट-पॉइंट में” कहें—संक्षिप्त तर्क पर्याप्त हैं।

Q5. आउटपुट बिखरा हुआ क्यों आता है?
अक्सर फ़ॉर्मैट-निर्देश नहीं दिए होते। Markdown/टेबल/JSON पहले से तय करें; छोटा उदाहरण दिखाएँ।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top